अर्जुन द्वारा कौरवों की रथसेना पर आक्रमण

महाभारत शल्य पर्व के अंतर्गत तीसरे अध्याय में संजय ने अर्जुन का कौरवों की रथसेना पर आक्रमण कर संहार करने का वर्णन किया है, जो इस प्रकार है[1]-

अर्जुन का कौरवों की रथसेना पर आक्रमण

संजय कहते हैं- महाराज! एक ओर तो भीम पैदल योद्धाओं का संहार कर रहे थे और दूसरी ओर पराक्रमी अर्जुन ने रथसेना पर आक्रमण किया। माद्रीकुमार नकुल-सहदेव तथा महाबली सात्यकि दुर्योधन की सेना का विनाश करते हुए बड़े वेग से शकुनि पर टूट पड़े। उन सबने शकुनि के बहुत से घुड़सवारों को अपने पैने बाणों से मारकर बड़ी उतावली के साथ वहाँ शकुनि पर धावा किया। फिर तो उनमें भारी युद्ध छिड़ गया। राजन! तदनन्तर अर्जुन ने अपने त्रिभुवनविख्यात गाण्डीव धनुष की टंकार करते हुए आपके रथियों की सेना में प्रवेश किया। श्रीकृष्ण जिसके सारथि हैं, उस श्वेत घोड़ों से रहित तथा बाणों से आच्छादित हुए पच्चीस हजार पैदल योद्धाओं ने कुन्तीकुमार अर्जुन पर चढ़ाई की। उस पैदल सेना का वध करके पांचाल महारथी धृष्टद्युम्न भीमसेन को आगे किये शीघ्र ही वहाँ दृष्टिगोचर हुए। पांचालराज के पुत्र धृष्टद्युम्न महाधनुर्धर, महायशस्वी तेजस्वी तथा शत्रुसमूह का संहार करने में समर्थ थे।[1]

जिनके रथ में कबूतर के समान रंग वाले घोड़े जुते हुए थे तथा रथ की श्रेष्ठ ध्वजा पर कचनार वृक्ष का चिह्न बना हुआ था, उस धृष्टद्युम्न को रणभूमि में उपस्थित देख आपके सैनिक भय से भाग खडे़ हुए। सात्यकि सहित यशस्वी माद्रीकुमार नकुल और सहदेव शीघ्रतापूर्वक अस्त्र चलाने वाले गान्धार राजा शकुनि का तुरन्त पीछा करते हुए दिखायी दिये। जैसे साँड़ साँड़ों को परास्त करके उन्हें बहुत दूर तक खदेड़ते रहते हैं, उसी प्रकार उन सब पाण्डव वीरों ने आपके समस्त सैनिकों को युद्ध से विमुख होकर भागते देख बाणों का प्रहार करते हुए दूर तक उनका पीछा किया। नरेश्वर! पाण्डुकुमार सव्यसाची अर्जुन आपके पुत्र की सेना के उस एक भाग को अवशिष्ट एवं सामने उपस्थित देख अत्यन्त कुपित हो उठे। राजन! तदनन्तर उन्होंने सहसा बाणों द्वारा उस सेना को आच्छादित कर दिया। उस समय इतनी धूल ऊपर उठी कि कुछ भी दिखायी नहीं देता था। महाराज! जब जगत में उस धूल से अन्धकार छा गया और पृथ्वी पर बाण-ही-बाण बिछ गया, उस समय आपके सैनिक भय के मारे सम्पूर्ण दिशाओं में भाग गये। प्रजानाथ! उस सबके भाग जाने पर कुरुराज दुर्योधन ने शत्रुपक्ष की और अपनी दोनों ही सेनाओं पर आक्रमण किया।[2]


टीका टिप्पणी व संदर्भ

  1. 1.0 1.1 महाभारत शल्य पर्व अध्याय 3 श्लोक 16-37
  2. महाभारत शल्य पर्व अध्याय 3 श्लोक 38-53

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