धृतराष्ट्र का संजय से युद्ध का वृत्तान्त पूछना

महाभारत शल्य पर्व के अंतर्गत दूसरे अध्याय में संजय ने धृतराष्ट्र का संजय से युद्ध का वृत्तान्त पूछने का वर्णन किया है, जो इस प्रकार है[1]-

धृतराष्ट्र द्वारा युद्ध का वृतांत पूछना

धृतराष्ट्र ने कहा- संजय! भीष्म और द्रोणाचार्य के वध का तथा युद्ध-संचालन सेनापति सूतपुत्र कर्ण के विनाश का समाचार सुनकर मेरे पुत्रों ने क्या किया? मेरे पुत्र युद्धस्थल में जिस-जिस वीर को अपना सेनापति बनाते थे, पाण्डव उस-उसको थोडे़ ही समय में मार गिराते थे। युद्ध के मुहाने पर तुम लोगों के देखते-देखते भीष्म जी किरीटधारी अर्जुन के हाथ से मारे गये। इसी प्रकार द्रोणाचार्य का भी तुम सब लोगों के सामने ही संहार हो गया। इसी तरह प्रतापी सूतपुत्र कर्ण भी राजाओं सहित तुम सब लोगों के देखते-देखते किरीटधारी अर्जुन के हाथ से मारा गया। महात्मा विदुर ने मुझसे से पहले ही कहा था कि दुर्योधन के अपराध से इस प्रजा का विनाश हो जायगा। संसार में कुछ मूढ़ मनुष्य ऐसे होते हैं, जो अच्छी तरह देखकर भी नहीं पाते। मैं भी वैसा ही मूढ़ हूँ। मेरे लिये वचन वैसा ही हुआ (मैं उसे सुनकर भी न सुन सका)। दूरदर्शी धर्मात्मा विदुर ने पहले जो कुछ कहा था, वह सब उसी रूप में सामने आया है। सत्यवादी महात्मा का वचन सत्य होकर ही रहा। संजय! पहले दैव से मेरी बुद्धि मारी गयी थी; इसलिये मैंने जो विदुर जी की बात नहीं मानी, मेरे उस अन्याय का फल जैसे-जैसे प्रकट हुआ है, उसका वर्णन करो।[1]

कर्ण के मारे जाने पर सेना के मुखस्थान पर खड़ा होने वाला कौन था? कौर रथी अर्जुन और श्रीकृष्ण का सामना करने के लिये आगे बढ़ा? युद्धस्थल में जूझने की इच्छा वाले मद्रराज शल्य के दाहिने या बायें पहिये की रक्षा किन लोगों की? अथवा उस वीर सेनापति के पृष्ठ-रक्षक कौन थे? संजय! तुम सब लोगों के एक साथ रहते हुए भी महारथी मद्रराज शल्य अथवा मेरा पुत्र दुर्योधन दोनों ही तुम्हारे सामने पाण्डवों के हाथ से कैसे मारे गये? तुम भरतवंशियों के इस महान विनाश का सारा वृत्तान्त यथार्थ रूप से बताओ। साथ ही यह भी कहो कि युद्धस्थल में मेरा पुत्र दुर्योधन किस प्रकार मारा गया? समस्त पांचाल-सैनिक अपने सेवकों सहित कैसे मारे गये? धृष्टद्युम्न, शिखण्डी तथा द्रौपदी के पाँचों पुत्रों का वध किस प्रकार हुआ? पाँचों पाण्डव, दोनों मधुवंशी वीर श्रीकृष्ण और सात्यकि, कृपाचार्य, कृतवर्मा और अश्वत्थामा -ये युद्धस्थल से किस प्रकार जीवित बच गये? संजय! जो युद्ध का वृत्तान्त जिस प्रकार और जैसे संघटित हुआ हो, वह सब इस समय मैं सुनना चाहता हूँ। तुम वह सब बताने में कुशल हो।[2]


टीका टिप्पणी व संदर्भ

  1. 1.0 1.1 महाभारत शल्य पर्व अध्याय 2 श्लोक 47-63
  2. महाभारत शल्य पर्व अध्याय 2 श्लोक 64-70

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