नन्दनन्दन -सुदर्शन सिंह 'चक्र'
64. बहिन अजया-गोवर्धन-पूजन
सब गोप भैया का मुख देखने लगे। भैया ने कहा- 'हम लोग नगर में रहते नहीं। गाँव में भी कहाँ रहते हैं। हमारा तो व्रज है। वनपर्वत का वास है। न व्यापार करना है, न खेती। हमारा धन गोधन है। गिरिराज सन्तुष्ट रहेंगे तो गायों को तृण मिलता रहेगा। वे स्वस्थ रहेंगी। अतः मेरी सम्मति तो गिरिराज के पूजन की है। आप सब को अच्छा लगे तो यह करो।' मैंने अपने बाबा से सुना था कि 'गोपों में दो मत नहीं हुआ करता।' अब एक मत भैया का होगा तो सबको यह मानना पड़ेगा, नहीं तो गोपों में दो मत हो जायगा। बात तो इतनी है कि व्रजराज बाबा ने यह खम्भा गाड़ दिया। इसमें झण्डा लगा दिया। इसको चन्दन का लेप करके, इस पर लाल रेशमी वस्त्र लपेट दिया, माला चढ़ा दी और इसकी पूजा कर दी; किंतु कहाँ यह खम्भा और कहाँ गिरिराज। भैया ने फिर कहा- 'सब देवता और सब तीर्थ गौ में रहते हैं। गौओं को बढ़ाने वाले होने से गिरिराज का नाम गोवर्धन है। इनसे बड़ा देवता कौन होगा? महर्षि प्रतिवर्ष के प्रारम्भ में पञ्चांग सुनाते हैं, तब उसमें मेघ, गज, समुद्र का नाम बतलाते हैं। शस्येश-मेघेश तो ग्रह गिनाते हैं। उनमें इन्द्र का तो कहीं नाम भी नहीं होता। सुना है कि ब्रह्मा के एक दिन में चौदह इन्द्र मर जाते हैं और श्रीहरि के एक निमेष में ब्रह्मा मरते-जीते हैं। बाबा! श्रीहरि तो शालग्राम हैं न? ये गिरिराज शालग्राम-स्वरूप हैं। इनको छोड़कर किसी और की शरण लेना अच्छा नहीं।' भैया ने सन्नन्द ताऊ के समीप जाकर कहा- 'ताऊ! ब्राह्मण वेद पढ़ते हैं तो वे मन्त्र-यज्ञ करते हैं, क्षत्रिय रण-यज्ञ करते हैं, किसान हल पूजन करते हैं, हम गोप हैं; अतः गिरि-यज्ञ करेंगे।' 'हम गरि-यज्ञ करेंगे!' सन्नन्द ताऊ ने भैया को अपनी गोद में ले लिया- 'हमारा कृष्णचन्द्र ठीक कहता है। यज्ञ होगा, ब्राह्मणों का गायों का पूजन होगा, सबको खिलाया जायगा, सब कुछ तो हो ही रहा है। इस ध्वज के स्थान पर गिरिराज की पूजा- इतना ही तो परिवर्तन है। इन्द्र ने तो हमें कभी दर्शन दिया नहीं। मैंने नहीं देखा कि वह कैसा देवता है। सूखे खम्भे के पूजन से विशाल हरे-भरे गोवर्धन का पूजन भला। बालक का मन रहेगा और कल को यह यहाँ पूजन के समय कुछ उत्पात करने लगे तो पूजन पड़ा रहेगा, अपराध और होगा।' 'महर्षि शाण्डिल्य से पूछना पड़ेगा। परम्परा से चली आयी पूजा छोड़ने की बात है।' बड़े ताऊ उपनन्द बाबा ने बहुत गम्भीर मुख करके कहा। |
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