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- कोटि-कोटि कंदर्प-दर्पहर हैं -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- कोटि-कोटि शत मदन-रति -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- कोटि-कोटि सुन्दरियाँ हैं -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- कोटि करौ तनु प्रकृति न जाइ -सूरदास
- कोटि तीर्थ
- कोटि तीर्थ, कुरुक्षेत्र
- कोटि तीर्थ, चित्रकूट
- कोटि तीर्थ, पंचनद
- कोटि तीर्थ, वाराणसी
- कोटि तीर्थ, हरिद्वार
- कोटि तीर्थ (बहुविकल्पी)
- कोटि तीर्थ कुरुक्षेत्र
- कोटि तीर्थ चित्रकूट
- कोटि तीर्थ पंचनद
- कोटि तीर्थ वाराणसी
- कोटि तीर्थ हरिद्वार
- कोटिक
- कोटिकंदर्प लीलाभिराम
- कोटिकास्य
- कोटिकास्य का द्रौपदी को जयद्रथ का परिचय देना
- कोटिश
- कोटिश पुत्रपौत्रै प्रसिद्ध
- कोणपाशन
- कोणपाशन नाग
- कोपवेग
- कोलगिरि
- कोलाहल
- कोलेघाट
- कोशल
- कोशल (नगर)
- कोशल (बहुविकल्पी)
- कोषा
- कोष्ठवान
- कोहल
- कोहल (उत्तर निवासी ऋषि)
- कोहल (बहुविकल्पी)
- कोहल ऋषि
- कोई कहते संत मुझे -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- कौंकणावती
- कौंतेय
- कौकुट्टक
- कौकुलिका
- कौडिंन्य
- कौणकुत्स्य
- कौणप
- कौणप भोजन
- कौणिकुत्स्य
- कौण्डिन्य
- कौतुक देखत सुर-नर भुले -सूरदास
- कौत्स
- कौधिक
- कौधिक (बहुविकल्पी)
- कौधिक (ब्राह्मण)
- कौधिक (सेनापति)
- कौधिक (हैमवती के पति)
- कौन कान्ह, को तुम, कह मांगत -सूरदास
- कौन कुमति आई री जो कह्यौ न मानति -सूरदास
- कौन गति करिहौ मेरी नाथ -सूरदास
- कौन नृपति (पुनि) जाके तुम हौ -सूरदास
- कौन नृपति पुनि जाके तुम हौ -सूरदास
- कौन परी मेरे लालहिं बानि -सूरदास
- कौन बनिज कहि मोहि मुनावति -सूरदास
- कौन बनिज कहि मोहिं सुनावति -सूरदास
- कौन बात यह कहत कन्हाई -सूरदास
- कौन रसिक है इन बातन कौ -परमानंददास
- कौन सुनै यह बात हमारी -सूरदास
- कौने विधि ब्रज रहिऐ -सूरदास
- कौन्तेय
- कौबेर
- कौमारसर्ग
- कौमुदकी
- कौमोदकी
- कौमोदकी गदा
- कौरव
- कौरव-पांडव उभय पक्ष की सेनाओं का घमासान युद्ध
- कौरव-पांडव उभयपक्ष की सेनाओं का घमासान युद्ध
- कौरव-पांडव उभयपक्ष की सेनाओं का घोर संग्राम
- कौरव-पांडव उभयपक्ष की सेनाओं का भयानक युद्ध
- कौरव-पांडव दलों का भयंकर घमासान युद्ध
- कौरव-पांडव द्वारा युद्ध के नियमों का निर्माण
- कौरव-पांडव पक्ष के प्रमुख महारथियों के द्वन्द्वयुद्ध का वर्णन
- कौरव-पांडव महारथियों के द्वन्द्वयुद्ध का वर्णन
- कौरव-पांडव योद्धाओं का द्वन्द्व युद्ध
- कौरव-पांडव योद्धाओं के द्वन्द्वयुद्ध
- कौरव-पांडव वीरों का द्वन्द्व युद्ध
- कौरव-पांडव सेना का घमासान युद्ध
- कौरव-पांडव सेना का घमासान युद्ध और भयानक जनसंहार
- कौरव-पांडव सेना का घोर युद्ध
- कौरव-पांडव सेना का भयंकर युद्ध तथा अर्जुन और कर्ण का पराक्रम
- कौरव-पांडव सेना का युद्ध
- कौरव-पांडव सेना के प्रधान वीरों का द्वन्द्व युद्ध
- कौरव-पांडव सेना के प्रधान वीरों तथा शंखध्वनि का वर्णन
- कौरव-पांडव सेना में द्वन्द्वयुद्ध तथा सुषेण का वध
- कौरव-पांडव सेना में शंखध्वनि और सिंहनाद
- कौरव-पांडव सेनाओं का घमासान युद्ध
- कौरव-पांडव सेनाओं का घोर युद्ध और कौरव सेना का व्यथित होना
- कौरव-पांडव सेनाओं का परस्पर घोर युद्ध
- कौरव-पांडव सेनाओं का मण्डल और वज्रव्यूह बनाकर भीषण संघर्ष
- कौरव-पांडव सेनाओं का युद्ध और द्रोण का पराक्रम
- कौरव-पांडव सेनाओं का व्यूह निर्माण
- कौरव-पांडव सेनाओं की स्थिति
- कौरव-पांडव सैनिकों का भीषण युद्ध
- कौरव-पांडव सैनिकों के द्वन्द्व युद्ध
- कौरव-पांडवों की बची हुई सेनाओं की संख्या का वर्णन
- कौरव-पांडवों की व्यूह रचना
- कौरव-पांडवों के प्रथम दिन के युद्ध का प्रारम्भ
- कौरव-पाण्डवों में फूट और युद्ध होने का वृत्तांत
- कौरव और पांडव सेनाओं का घोर युद्ध
- कौरव पक्ष
- कौरव पक्ष के जीवित योद्धाओं का वर्णन और धृतराष्ट्र की मूर्छा
- कौरव पक्ष के दस महारथियों के साथ भीम का घोर युद्ध
- कौरव पक्ष के रथियों का परिचय
- कौरव पक्ष के रथी, महारथी और अतिरथियों का वर्णन
- कौरव पक्ष के सात सौ रथियों का वध
- कौरव पासा कपट बनाए -सूरदास
- कौरव महारथियों के सहयोग से अभिमन्यु का वध
- कौरव महारथियों के साथ भीम और अर्जुन का अद्भुत पुरुषार्थ
- कौरव महारथियों द्वारा अभिमन्यु के धनुष और तलवार आदि का नाश
- कौरव वंश
- कौरव वीरों द्वारा कुलिन्दराज के पुत्रों और हाथियों का संहार
- कौरव सभा में धृतराष्ट्र द्वारा शान्ति का प्रस्ताव
- कौरव सेना
- कौरव सेना का कोलाहल तथा भीष्म के रक्षकों का वर्णन
- कौरव सेना का रण के लिए प्रस्थान
- कौरव सेना का शिबिर की ओर पलायन
- कौरव सेना का सिंहनाद सुनकर युधिष्ठिर का अर्जुन से कारण पूछना
- कौरव सेना की व्यूह रचना
- कौरव सेना को देखकर उत्तरकुमार का भय
- कौरव सेना में अपशकुन
- कौरव सैनिकों तथा सेनापतियों का भागना
- कौरव सैनिकों द्वारा कृपाचार्य को युद्ध से हटा ले जाना
- कौरवपति ज्यौं बन कौं गयौ2 -सूरदास
- कौरवपति ज्यौं बन कौं गयौ -सूरदास
- कौरवसभा में कृष्ण का प्रभावशाली भाषण
- कौरवसभा में कृष्ण का स्वागत और उनके द्वारा आसनग्रहण
- कौरवस्य मानहृत
- कौरवों और पांडवों की सेनाओं का घमासान युद्ध
- कौरवों और पांडवों की सेनाओं में प्रदीपों का प्रकाश
- कौरवों का कपट
- कौरवों का गंधर्वों से युद्ध और कर्ण की पराजय
- कौरवों का स्वदेश को प्रस्थान
- कौरवों की गजसेना का विनाश और पलायन
- कौरवों की पराजय तथा चौथे दिन के युद्ध की समाप्ति
- कौरवों की रात्रि में मन्त्रणा
- कौरवों के विनाश से उत्तंक मुनि का कुपित होना
- कौरवों के व्यूह, वाहन और ध्वज आदि का वर्णन
- कौरवों को छुड़ाने हेतु युधिष्ठिर का भीमसेन को आदेश
- कौरवों को मारने को उद्यत हुए भीम को युधिष्ठिर का शान्त करना
- कौरवों द्वारा कर्ण का स्मरण
- कौरवों द्वारा मकरव्यूह तथा पांडवों द्वारा श्येनव्यूह का निर्माण
- कौरवों द्वारा मारे गये प्रधान पांडव पक्ष के वीरों का परिचय
- कौरवों द्वारा विराट की गौओं का अपहरण
- कौरव्य
- कौरव्य (बहुविकल्पी)
- कौरव्य नाग
- कौशल्या
- कौशल्या (पुरुरवा पत्नी)
- कौशल्या (बहुविकल्पी)
- कौशल्या (वसुदेव पत्नी)
- कौशिक
- कौशिक (बहुविकल्पी)
- कौशिक (मुनि)
- कौशिक (मुनि )
- कौशिक का धर्मव्याध के पास जाना
- कौशिक ब्राह्मण तथा पतिव्रता का उपाख्यान
- कौशिक हद
- कौशिकाचार्य
- कौशिकारुण
- कौशिकाश्रम
- कौशिकी
- कौशिकी (देवी)
- कौशिकी (बहुविकल्पी)
- कौशिकी तीर्थ
- कौशिकी नदी
- कौशिकीकच्छ
- कौसल्या
- कौस्तुभ
- कौस्तुभ मणि
- क्या नव-वधू कभी मुखरा बन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- क्यूँ कर म्हे दिन काटाँ -मीराँबाई
- क्यौ अलि गवन कियौ मथुरा -सूरदास
- क्यौ आए उठि भोर इहाँ -सूरदास
- क्यौ करि सकौं आज्ञा भंग -सूरदास
- क्यौ मन मानत है इन बातनि -सूरदास
- क्यौ मोहन दर्पन नहिं देखत -सूरदास
- क्यौ राधा नहि बोलति है -सूरदास
- क्यौ राधा फिरि मौन धरयौ री -सूरदास
- क्यौ री तै दधि लीन्हे डोलति -सूरदास
- क्यौ सुरझाऊँ नंदलाल सौ -सूरदास
- क्यौं आए उठि भोर इहाँ -सूरदास
- क्यौं तुम स्यामहिं दोष लगावति -सूरदास
- क्यौं मोहन दर्पन नहिं देखत -सूरदास
- क्यौं राख्यौ गोबर्धन स्याम -सूरदास
- क्यौं राख्यौ गोवर्धन स्याम -सूरदास
- क्यौं राधा नहिं बोलति है -सूरदास
- क्यौं राधा फिरि मौन धरयौ री -सूरदास
- क्यौं सुरझाऊँ नंदलाल सौं -सूरदास
- क्यौंअब दुरत हैं प्रगट भए -सूरदास
- क्यौंरि कुँवरि गिरी मुरझाई -सूरदास
- क्यौअब दुरत है प्रगट भए -सूरदास
- क्यौरि कुँवरि गिरी मुरझाई -सूरदास
- क्रकच
- क्रतु
- क्रतु (कृष्ण के पुत्र)
- क्रतु (बहुविकल्पी)
- क्रतु अग्नि
- क्रतु ऋषि
- क्रतुश्रेष्ठ
- क्रथ
- क्रथ (अनुचर)
- क्रथ (बहुविकल्पी)
- क्रथ कैशिक
- क्रथन
- क्रथन (बहुविकल्पी)
- क्रथन (राक्षस)
- क्रमजित
- क्रव्यात
- क्रव्याद
- क्राथ
- क्राथ (अनुचर)
- क्राथ (कौरव पक्षीय योद्धा)
- क्राथ (बहुविकल्पी)
- क्राथ राजा
- क्राथ वानर
- क्राथ सर्प
- क्रिया
- क्रिया (कर्दम पुत्री)
- क्रिया (बहुविकल्पी)
- क्रीडत कल कुँमर कान्ह -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- क्रीडनार्थी
- क्रीड़त कालिंदी कूल मैं कहाँ -सूरदास
- क्रीड़त प्रात समय दोउ बीर -सूरदास
- क्रीदडत कल कुँमर कान्ह -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- क्रूर (निद्रय या निष्ठुर) (महाभारत संदर्भ)
- क्रूर (महाभारत संदर्भ)
- क्रोध
- क्रोध-मोह मद-अघ भर्यौ -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- क्रोध (दक्षकन्या पुत्र)
- क्रोध (बहुविकल्पी)
- क्रोध (महाभारत संदर्भ)
- क्रोध करि सुता सौ कहति माता -सूरदास
- क्रोध करि सुता सौं कहति माता -सूरदास
- क्रोध गजराज, गजपाल कीन्हौ -सूरदास
- क्रोध भैरव
- क्रोधकृत
- क्रोधन
- क्रोधन (बहुविकल्पी)
- क्रोधन (बहुविकल्पी शब्द)
- क्रोधन (शिव)
- क्रोधना
- क्रोधभैरव
- क्रोधवश
- क्रोधवश (देवगण)
- क्रोधवश (बहुविकल्पी)
- क्रोधवश (राक्षस)
- क्रोधवश राक्षसों का भीमसेन से सामना
- क्रोधशत्रु
- क्रोधहंता
- क्रोधहन्ता
- क्रोधा
- क्रोधित बलराम को कृष्ण का समझाना
- क्रोधी (महाभारत संदर्भ)
- क्रोशना
- क्रोष्टा
- क्रौंच
- क्रौंच (पक्षी)
- क्रौंच (बहुविकल्पी)
- क्रौंच द्वीप
- क्रौंच पर्वत
- क्रौंच व्यूह
- क्रौंचद्वीप
- क्रौंचव्यूह
- क्रौंचारुण व्यूह
- क्रौंच्यव्यूह
- क्वणत्किङ्किणीजालभृत
- क्वणन्नूपुरालं कृताङघ्रि
- क्वणन्नूपुरै शब्दयुक
- क्वापि भयी
- क्विलन
- क्षण
- क्षणभर मुझे उदास देख -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- क्षत्रंजय
- क्षत्रदेव
- क्षत्रधर्मा
- क्षत्रवर्मा
- क्षत्रिय
- क्षत्रिय गणराज्य
- क्षत्रिय धर्म की प्रशंसा करते हुए अर्जुन पुन: युधिष्ठिर को समझाना
- क्षपा (सूर्य)
- क्षमा
- क्षमा-प्रार्थना
- क्षमा (धर्म पत्नी)
- क्षमा (बहुविकल्पी)
- क्षमा (महाभारत संदर्भ)
- क्षमावान
- क्षर-अक्षर एवं प्रकृति-पुरुष के विषय में राजा जनक की शंका
- क्षारकुंड
- क्षारकुण्ड
- क्षितिकम्पन
- क्षिप्र
- क्षिप्रा
- क्षिप्रा नदी
- क्षीर सागर
- क्षीरपाणि
- क्षीरवती
- क्षीरसागर
- क्षुद्र
- क्षुद्र स्वार्थ का नाश करो प्रभु -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- क्षुद्रक
- क्षुद्रभूत
- क्षुधानाशकृत
- क्षुधि
- क्षुप
- क्षुप (कृष्ण पुत्र)
- क्षुप (बहुविकल्पी)
- क्षुर
- क्षुरकर्णी
- क्षुरधारकुंड
- क्षुरधारकुण्ड
- क्षुरप्र
- क्षेत्रज की विलक्षणता
- क्षेपणी
- क्षेम
- क्षेमंकर
- क्षेमक
- क्षेमक (एक राजा)
- क्षेमक (बहुविकल्पी)
- क्षेमक नाग
- क्षेमदर्शी
- क्षेमधन्वा
- क्षेमधूर्ति
- क्षेमधूर्ति (दैत्य अंशावतार)
- क्षेमधूर्ति (बहुविकल्पी)
- क्षेमधूर्ति (योद्धा)
- क्षेमधूर्ति तथा वीरधन्वा का वध
- क्षेममूर्ति
- क्षेमवान
- क्षेमवाह
- क्षेमवृद्धि
- क्षेमशर्मा
- क्षेमा
- क्षेमा (देवी)
- क्षेमा (बहुविकल्पी)
- क्यौं तू गोविंद नाम विसारौ -सूरदास
- क्यौं दासी-सुत कैं पग धारे -सूरदास