महाभारत कथा -अमृतलाल नागर
वनगमन
उधर बारह वर्ष पूरे होने वाले थे और अज्ञातवास का तेरहवां वर्ष बिताने की चिन्ता पाण्डवों को हो रही थी। वे ऐसी जगह रहना चाहते थे कि जहाँ कौरव लोग उनकी परछाई भी न छू सकें। पाण्डव इन सब बातों पर विचार कर ही रहे थे कि वन में एक दुर्घटना और हो गई। सिन्धु देश का राजा जयद्रथ अपनी सेना के साथ उस वन से गुजर रहा था। जयद्रथ दुर्योधन का साला भी था। वन से जाते समय मार्ग में संयोग से पाण्डवों की कुटिया भी दिखाई दी। द्रौपदी बाहर खड़ी थी राजा जयद्रथ की दृष्टि उस पर गई। अनुपम सुन्दरी द्रौपदी को देखकर जयद्रथ दीवाना हो गया। वह तुरंत ही अपने रथ से उतर कर द्रौपदी के पास पहुँचा और उसने द्रौपदी से कहा कि मेरे साथ चलो। मैं तुम्हें अपनी रानी बनाऊंगा। द्रौपदी बोली- "तुम भला मुझे क्या रानी बनाओगे। अपनी राह जाओ, यह मत भूलो कि तुम पाण्डव पत्नी द्रौपदी से बातें कर रहे हो।" द्रौपदी का परिचय पाकर दुष्ट जयद्रथ और भी हेकड़ी में आ गया। उसने द्रौपदी को जबरदस्ती अपने रथ पर बिठा लिया और चल पड़ा। पाण्डव लोग जंगल में शिकार खेलने गये थे उनकी कुटिया के आसपास रहने वालों ने दौड़ कर उन्हें यह सूचना दी कि द्रौपदी को कोई राजा अपने रथ पर भगाये लिये जा रहा है। यह सुनते ही पांचों भाई दौड़े। उन्होंने सेना को जाते हुए देखा। एक बड़ी सेना के सामने पाण्डव केवल पांच ही थे, पर वे अपनी कुशल रणनीति के जानकार होने के कारण इतनी बड़ी सेना को तितर-बितर करने में बड़ी जल्दी सफल हो गये। एक ओर अर्जुन के तीखे बाणों की वर्षा हो रही थी, दूसरी और भीम ने ऐसा हमला बोला कि जयद्रथ की सेना तितर-बितर होकर भागी। नकुल, सहदेव और युधिष्ठिर भी अपनी रणचातुरी से जयद्रथ की सेना को छकाने लगे। थोड़ी देर में जयद्रथ पाण्डवों से घिर गया। अर्जुन ने उसको रथ से घसीट लिया। द्रौपदी रोकर बोली- "इस दुष्ट ने मेरे बाल पकड़कर मुझे खींचा था, तुम इस नराधम के झोटे पकड़ कर इसकी गर्दन उड़ा दो।" जयद्रथ ने कहा- "मुझे क्षमा कर दो मैं तुम्हारा दास हूँ।" इस पर युधिष्ठिर ने भीम से कहा- "भैया, यह दुष्ट मारने के योग्य होकर भी हमारे लिए अवध्य है, यह हमारा रिश्तेदार है, हमारे एक भाई का बहनोई है।" युधिष्ठिर की सिफारिश से जयद्रथ के प्राण छूटे। उसके जाने के बाद पाण्डवों ने आपस में विचार किया। अब इस जंगल में एक क्षण के लिए भी रुकना अच्छा न होगा। उन्होंने आपस में योजना बनाई और वहाँ से चल दिए। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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