विषय सूची
भक्ति सुधा -करपात्री महाराज
शिवलिंगोपासना-रहस्य
प्रकृति के साथ परमात्माा का खेल या जीवरूपा परा प्रकृतियों मे परमात्मा का रमण किंवा स्वरूपभूत माधुर्याधिष्ठात्री शक्ति में परमेश्वर का रमण रहस्यमय है। जैसे कृष्ण के चीरहरण, रासलीला में अज्ञों को अश्लीलता प्रतीत होती है, वैसे ही भगवान शिव की लीलाएँ भी परम रहस्यमयी हैं। अज्ञों को उनमें अश्लीलता का भान हो सकता है-
लिंगरूप से अतिरिक्त भी भगवान का गंगाधर, चन्द्रशेखर, त्रिलोचन, पंचवक्त्र, नीलकण्ठ, कृतिवास, व्याघ्रचर्मासन, त्रिशूलधारी, वृषभध्वज, साम्ब, सदाशिव रूप है, जिसका लोकोत्तर सौन्दर्य, माधुर्य है।
इन श्रुतियों में परब्रह्म परमात्माा को ही हर और माया को ही प्रकृति या गौरी कहा गया है। सभी जगह संसार में देह-देही आदिको में आधार-आधेय-भाव देखा जाता है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रम संख्या | विषय | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज