भक्ति सुधा -करपात्री महाराज
संकल्पबल
संकल्प विचार या भावना का महत्त्व संसार के सभी विद्वानों को मान्य है। संसार के सभी बलों से संकल्प का बल श्रेष्ठ है। वेदादि शास्त्रों को तो कहना है कि परमात्मा के संकल्प से ही अनन्तकोटि ब्रह्माण्ड बनकर तैयार होता है। वैसे तो कसी भी कार्य के मूल में संकल्प होना आवश्यक है। स्थूल, सूक्ष्म किसी प्रकार के संकल्म-विचार हुए बिना कोई भी कार्य नहीं हो सकता। देह, इन्द्रिय आदि किसी की भी हलचल में मन की हलचल आवश्यक है। अत एव यह भी कहा जा सकता है कि संसार की सभी गति अथवा उन्नति का मूल संकल्प ही है, परन्तु साधारण स्थानों में संकल्प के पश्चात अन्यान्य सामग्रियों और प्रयत्नो को भी अपेक्षा हुआ करती है। जैसे कुलाल (कुम्भकार) घट-निर्माण का विचार करता है। तत्पश्चात मृत्तिका, दण्ड, चक्र चीवरादि सामग्रियों का संचय करता है, फिर हस्त आदि व्यापार से घट को बनाता है। परन्तु परमात्मा किसी भी सामग्री की अपेक्षा न करके ही अपने संकल्पमात्र से विश्व का उत्पादन, पालन और संहार करता है। वेंदान्त के सिद्धान्तानुसार यह जगत जड़ परमाणुओं के एकत्रित हो जाने मात्र से नहीं बना, साथ ही विद्युत्कणों या प्रकृति की हलचल से भी नहीं बना, किन्तु अनिर्वचनीय, माया-शक्ति विशिष्ट वस्तुतः सजातीय, विजातीय स्वगत भेदशून्य परमात्मा से ही संसार बना है, वही इसके उपादान हैं वही निमित्त भी है। नैयायिक, वैशेषिक, योगी आदिकों के मतानुसार भी विश्व प्रपंच जड़ कार्य नहीं हो सकता। जब संसार के कोई भी प्राचीन विलक्षण कार्य एवं आधुनिक रेल, तार, मोटर, वायुयानादि विविध कल-पुर्जे बिना किसी बुद्धिमान चेतन के अपने आप नहीं बन जाते, परमाणुओं विद्युत्कणों या प्रकृति से इनका निर्माण बतलाने वाला अश्रद्धेय समझा जाता है, तब विलक्षण संसार और तदन्तर्गत विभिन यन्त्रों के आविष्कारक वैज्ञानिकों के मन, बुद्धि (मस्तिष्क, दिमाग) आदि कों के बनाने वाले को जड़ कैसे कहा जाय? जब साधारण से चित्र ड्राइंग भी परमाणुओं के एकत्रित ही जाने मात्र से नहीं बनते, तो विश्व कैसे बन सकता है? भेद यही है कि इन मतों में परमाणु-प्रकृति आादि का नियामक परमेश्वर माना जाता है, परमाणु, प्रकृति समवायिकारण या उपादान माने जाते हैं, परमात्मा निमित्कारण माना जाता है, परन्तु वेदान्त सिद्धान्त में परमात्मा ही उपादान और निमित्त दोनों ही तरह का कारण है। वह अपने संकल्प से अपने आपको ही प्रपंच रूप में प्रकट करता है। |
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