गीता माता -महात्मा गांधी
8 : नित्य व्यवहार में गीता
आप मुसलमानों के लिए पक्षपात क्यों करते है? कितने मुसलमान नेता आप पर व्यक्तिगत-आक्षेप करते हैं। उनका आप जवाब भी नहीं देते। ऐसा क्यों? उत्तर - परम धर्म का शुद्ध पक्ष लेने में मैं अपने धर्म की रक्षा ही करता हूँ। मै हिन्दू धर्म का नाश नहीं चाहता, मै नाश कर नहीं सकता; क्योंकि मैं हिंदू महासागर की एक बूंद भर हूँ। मुसलमान मुझे काफिर कहें तो उससे क्या हुआ? उसका जवाब क्या देना है।! मेरा भानजा मेरे साथ ही रहता था। जब दूसरों को लगा कि मै उसका पक्षपात करता हूं, उस समय मैंने और उसने भी समझा कि मैं उन्हें पूरा न्याय न देता होऊंगा। मुझे जवाब देने की आवश्यकता किसलिए हो? मेरे तो चौबीसों घंटे श्रीकृष्ण भगवान को समर्पित हैं। वही मेरी रक्षा करते हैं और दासानुदास श्रीकृष्ण भगवान से मैं सदा प्रार्थना करता हूँ कि ‘हे कृष्ण, मेरी ओर से जवाब देना हो, वह तू ही जाकर दे आ। प्रश्न - आपने खिलाफ़त की लड़ाई जी-जान से लड़ी। उसी प्रकार आज हिंदू-संगठन के लिए क्यों नहीं जुट जाते? उत्तर - खिलाफ़त के लिए प्राण अर्पण करने की मेरी प्रतिज्ञा थी। परधर्मी के लिए जो मुछ भी हो सका, मैने किया। मैं मानता था और अब भी मानता हूँ कि मेरी इस सेवा से गोरक्षा होगी। आप पूछेंगे कि गोरक्षा हुई? गोरक्षण नहीं हुआ, इससे पर मुझे क्या! मैं तो प्रयत्न का अधिकारी था। फल के अधिकारी तो श्रीकृष्ण भगवान हैं। भगवान ने कहा कि मुहम्मद अली से मिल, शौकत अली से मिल, उसके साथ काम कर! मैंने वही किया। उन्हें जितनी मदद दी जा सकी, दी। इस काम के लिए मुझे जरा भी पछतावा नहीं है। फिर ऐसा प्रसंग आवे तो मैं यही करूंगा। गीता-भागवत आदि धर्म -ग्रंथ मुझे यही सिखलाते हैं। लोग मेरी निन्दा करें, मेरा अपमान करें, इसके उत्तर में मैं भी उनकी निन्दा और अपमान करने वाला नहीं। मैं तो वही करूंगा, जो करने का तुलसीदासजी ने उपदेश दिया है, यानी तपश्चर्या। मेरी प्रकृति ही ऐसी बनी है। मुझसे दूसरा क्या होगा? गीता जी ने कहा है न कि सब जीव अपनी प्रकृति के अनुसार ही चलते है, निग्रह क्या करेगा? इसलिए मुझे तो तपश्चर्या करनी रही। जब मुसलमानों के दिल में खुदा बसेंगे और जब एक दिन ऐसा आवेगा कि हिन्दुओं के समान वे भी गोरक्षा करेंगे, मैं भविष्यवाणी करता हूँ कि तब आप कहेंगें कि यह गोरक्षा पुराने जमाने के किसी गांधी नाम के पागल की आभारी है। मैं नहीं मानता कि आज के जैसी तबलीग या शुद्धि या धर्मपरिवर्तन करने की आज्ञा इस्लाम या हिन्दू धर्म या ईसाई धर्म में है। तब मै शुद्धि में किस प्रकार हाथ बंटा सकता हूं? |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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