गीता माता -महात्मा गांधी
8 : नित्य व्यवहार में गीता
प्रश्न - आज जो पैसा आपको मिलता है, उसे देने वाले अधिकांश में विलायती कपड़ों के ही व्यापारी है और आपको वे जो पैसा देते है, वह आपके प्रेम के कारण देते हैं, खादी के प्रेम के कारण नहीं। क्या आप यह जानते है? उत्तर - प्रेम सें मुझे एक पैसा भी नहीं चाहिए! मै चाहता हूँ कि मेरे काम को समझकर लोग मुझे पैसा दें! प्रेम से आप मुझे दूसरी वस्तु दे सकते हैं, पर पैसा नहीं चाहिए। सच्ची बात तो यह है कि व्यापारी लोग मुझे पैसा देते हैं तो यह समझकर कि मेरा व्यापार जमे तो उससे उनकी या देश की हानि नहीं है। वे जानते हैं कि अंत में उन्हें खादी का ही व्यापार करना पड़ेगा। वे इसे खूब समझते है; परंतु आज निश्चय-बल नहीं है। यह बल उन्हें मिले, इसके लिए वे मुझे ईश्वर से प्रार्थना करने को कहते हैं। इस बीच में वे धन देकर इस प्रवृति का पोषण करते हैं। मुझे फुसलाने को धन नहीं देते।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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