गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 257

गीता माता -महात्मा गांधी

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7 : गीता कंठ करो


गीता को कंठ करने के विषय में मैं बहुत बार लिख चुका हूं, कह चुका हूँ। मेरे अपने किये यह न हो सका, इसलिए यह कहना मुझे शोभा नहीं देता। फिर भी इस बात को बारंबार कहते मुझे शर्म नहीं मालूम होती, इसलिए कि उसका लाभ मैं समझता हूँ। मेरी गाड़ी ज्यों -त्यों चल गई है, क्योंकि एक वार तो मैं तेरहवें अध्याय तक कंठ कर गया था और गीता का मनन तो बरसों से चल रहा है। इसलिए यह मान लिया जा सकता है कि उसकी छाया के नीचे मेरा कुछ निर्वाह हो गया; पर मैं उसे कंठ कर सका होता, अब भी उसमें अधिक गहराई मैं पैठ सका होता तो, हो सकता है, मैने बहुत अधिक पाया होता; पर मेरा चाहे जो हुआ हो और हो, मेरा समय बीता हुआ माना जा सकता है या मानना चाहिए। यद्यपि मुझे सहज ही इसका सुयोग मिल जाय तो गीता कंठ करने का प्रयत्न आरंभ कर दूं।

यहाँ गीता का अर्थ थोड़ा विस्तृत करना चाहिए। गीता, अर्थात् हमारा आधाररूप् ग्रंथ। हममें से बहुतों का आधार गीता है, इसलिए मैने गीता का नाम लिया है। पर अमतुल[1] प्रार्थना या कुरेशी गीता के बदले कुरान-शरीफ, पूरा या उसका कोई भाग, कंठ कर सकते हैं। जिन्हें संस्कृत नहीं आती हो, जो अब उसे सीख न सकते हों, वे गुजराती या हिन्दी में कंठ करें। जिन्हें गीता पर आस्था न हो और दूसरे किसी धर्म-ग्रंथ पर हो, वे उसे कंठ करें।

और कंठ करने का अर्थ भी समझ लीजिए। जिस चीज को हम कंठ करें, उसके आदेशानुसार आचरण करने का हमारा आग्रह होना चाहिए। वह मूल सिद्धान्तों का घातक न होना चाहिए। उसका अर्थ हम समझ चुके हों।

इसका फल है। हमारे पास ग्रंथ न हो, चोरी हो जाये, जल जाये, हमें भूल जाये, हमारी आँख चली जाये, हम वाक्शक्ति से रहित हो जायें, पर समझ बनी हो-ऐसे और भी दैवयोग सोचे जा सकते हैं- उस समय अगर अपना प्रिय आधार-रूप ग्रंथ कंठ हो तो वह हमारे लिए भारी शांति देने वाला हो जाएगा और मार्गदर्शक हो गया, संकट का साथी होगा।

दुनियां का अनुभव भी यही है। हमारे पुरखा-हिन्दू-मुसलमान, ईसाई, पारसी- कुछ विशेष पाठ कंठ किया करते थे। आज भी बहुतेरे करते हैं। इन सबके अमूल्य अनुभव को हम फेंक न दें। इसमें कुछ अंशों में हमारी श्रद्धा की परीक्षा है।

आश्रमवासियों से,

31 जुलाई 1932

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अमतुस्सलाम

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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