गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 131

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
आठवां अध्याय
अक्षरब्रह्म्रयोग


इस अध्‍याय में ईश्‍वर तत्त्व को विशेष रूप से समझाया गया है।

अर्जुन उवाच
किं तद्ब्रह्म किमध्‍यात्‍मं किं कर्म पुरुषोत्तम।
अधिभूतं च किं प्रोक्‍तमाधिदैवं किमुच्‍यते।।1।।

अर्जुन बोले-

हे पुरुषोत्तम! इस ब्रह्म का क्‍या स्‍वरूप है? अध्‍यात्‍म क्‍या है? कर्म क्‍या है? अधिभूत किसे कहते हैं? अधिदैव क्‍या कहलाता है?

अधियज्ञ: कयं कोऽत्र देहेऽस्मिन्‍मधुसूदन।
प्रयाणकाले च कथं ज्ञेयोऽसि नियतात्‍मभि:।।2।।

हे मधुसूदन! इस देह में अभियज्ञ क्‍या है और किस प्रकार है? और संयमी आपको मृत्‍यु किस तरह पहचान सकता है।

श्रीभगवानुवाच
अक्षरं ब्रह्म परमं स्‍वभावोऽध्‍यात्‍ममुच्‍यते।
भूतभावोद्भवकरो विसर्ग: कर्मसज्ञित:।।3।।

श्रीभगवान बोले-

जो सर्वोत्तम अविनाशी है वह ब्रह्म है; प्राणी मात्र में अपनी सत्ता से जो रहता है वह अध्‍यात्‍म है और प्राणी मात्र को उत्‍पन्‍न करने वाला सृष्टि व्‍यापार कर्म कहलाता है।

अधिभूतं क्षरो भाव: पुरुषश्‍चाधिदैवतम्।
अधियज्ञोऽहमेवात्र देहे देहभृतां वर।।4।।

अधिभूत मेरा नाशवान स्‍वरूप है। अधिदैव उसमें रहने वाला मेरा जीवन रूप है। और हे मनुष्‍यश्रेष्‍ठ! अधियज्ञ इस शरीर में स्थित किंतु यज्ञ द्वारा शुद्ध हुआ जीवनरूप है।

टिप्‍पणी- तात्‍पर्य, अव्‍यक्‍त ब्रह्म से लेकर नाशवान दृश्‍य पदार्थमात्र परमात्मा ही है और सब उसी की कृति है। तब फिर मनुष्‍य प्राणी स्‍वयं कर्तापन का अभिमान, रखने के बदले परमात्‍मा का दास बनकर सब कुछ उसे समर्पण क्‍यों न करे?

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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