गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 207

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
अठारहवां अध्‍याय
संन्‍यासयोग


इस अध्‍याय को उपसंहार मानना चाहिए। इस अध्‍याय का या गीता का प्रेरक मंत्र यह कहा जा सकता है- ‘सब धर्मों को तज कर मेरी शरण ले।’ यह सच्चा संन्‍यास है, परंतु सब धर्मों के त्‍याग का मतलब सब कर्मों का त्‍याग नहीं है। परोपकार के कर्मों में जो भी सर्वोत्‍कृष्‍ट कर्म हों उन्‍हें उसे अर्पण करना और फलेच्‍छा का त्‍याग करना, यह सर्व धर्म त्‍याग या संन्‍यास है-

अर्जुन उवाच
सन्न्यासस्य महाबाहो तत्त्वमिच्छामि वेदितुम्।
त्यागस्य च हृषीकेश पृथक्केशिनिषूदन॥1॥

हे महाबाहो! हे हृषीकेश! हे केशिनिषूदन! संन्‍यास और त्‍याग का पृथक- पृथक रहस्‍य मैं जानना चाहता हूँ।

श्रीभगवानुवाच
काम्यानां कर्मणां न्यासं सन्न्यासं कवयो विदु:।
सर्वकर्मफलत्यागं प्राहुस्त्यागं विचक्षणा:॥2॥

काम्‍य[1] कर्मों के त्‍याग को ज्ञानी संन्‍यासी के नाम से जानते हैं। समस्‍त कर्मों के फल के त्‍याग को बुद्धिमान लोग त्‍याग कहते हैं।

त्याज्यं दोषवदित्येके कर्म प्राहुर्मनीषिण:।
यज्ञदानतप:कर्म न त्याज्यमिति चापरे॥3॥

कितने ही विचारवान पुरुष कहते हैं कि कर्म पात्र दोषमय होने के कारण त्‍यागने योग्‍य है। दूसरों का कथन है कि यज्ञ, दान और तप रूप कर्म त्‍यागने योग्‍य नहीं है।

निश्चयं श्रृणु मे तत्र त्यागे भरतसत्तम।
त्यागो हि पुरुषव्याघ्र त्रिविध: संप्रकीर्तित:॥4॥

हे भरतसत्तम! इस त्‍याग के विषय के मेरा निर्णय सुन। हे पुरुष व्‍याघ्र! त्‍याग का तीन प्रकार से वर्णन किया गया है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कामना से उत्‍पन्न हुए

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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