गीता माधुर्य -स्वामी रामसुखदास
ग्यारहवाँ अध्याय
वह रूप आश्चर्यमय क्यों था संजय? अर्जुन ने वह रूप कहाँ देखा? उस रूप को देखकर अर्जुन ने क्या किया संजय? अर्जुन बोले- हे देव! मैं आपके शरीर में सम्पूर्ण देवताओं को, प्राणियों के विशेष-विशेष समुदायों को, कमलासन पर बैठे हुए ब्रह्मा जी को, कैलासपर विराजमान शंकर को, सम्पूर्ण ऋषियों को तथा दिव्य सर्पों को देख रहा हूँ।।15।। हे विश्वरूप! हे विश्वेश्वर! मैं आपको अनेक हाथ, पेट, मुख और नेत्रवाला तथा सब तरफ से अनन्त रूपवाला देख रहा हूँ। मैं आपके आदि, मध्य और अन्त को भी नहीं देख रहा हूँ। मैं आपको सिरपर मुकुट तथा हाथों में गदा, चक्र (शंख और पद्म) धारण किये हुए, तेज का समूह, सब तरफ प्रकाश करने वाले, देदीप्यमान अग्नि और सूर्य के समान कान्ति वाले, नेत्रों से कठिनता से देखे जाने योग्य और सब तरफ से अप्रमेयस्वरूप देख रहा हूँ।।16-17।। |