गीता माधुर्य -स्वामी रामसुखदास
पन्द्रहवाँ अध्याय
उत्तम पुरुष तो अन्य है, पर आप कौन हैं भगवन्? आप पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्ध हैं तो इससे मनुष्य को क्या लाभ है भगवन्? जब ऐसी ही बात है तो सब आपमें ही क्यों नहीं लग जाते भगवन्? |
उत्तम पुरुष तो अन्य है, पर आप कौन हैं भगवन्? आप पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्ध हैं तो इससे मनुष्य को क्या लाभ है भगवन्? जब ऐसी ही बात है तो सब आपमें ही क्यों नहीं लग जाते भगवन्? |