विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
चौथा अध्याय
द्वारकालीला
दशम प्रकरण
महाभारत के युद्ध का अंत
कुन्तीकृत स्तुति
(अब कहती हैं कि संपत्तियाँ तो मोक्षमार्ग में बाधा डालती हैं-) जिसका मद उत्तम कुल में जन्म लेने से, ऐश्वर्य से, विद्या से और संपत्ति से बढ़ गया है, वह पुरुष धन आदि में आसक्त न रहने वाले पुरुषों को प्रत्यक्ष दर्शन देने वाले आपके राम, कृष्ण, गोविन्दादि नामों का उच्चारण नहीं कर सकता।।26।। जिसके अकिञ्चन (भक्त) ही सर्वस्व हैं, जिनकी धर्म, अर्थ और काम-विषयिणी वृत्तियाँ निवृत्त हो गयी हैं, जो आत्मा में रमण करने वाले हैं, जो रागादि दोषों से रहित हैं और कैवल्यपद (मोक्ष) के देने को समर्थ हैं, ऐसे आपको मैं नमस्कार करती हूँ।।27।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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