विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
पहला अध्याय
बाललीला
षष्ठ प्रकरण
पौगण्डावस्थालीला
उत्तरार्ध[1]
इंद्र तथा कामधेनुकृत स्तुति[2]
हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे महायोगिन! हे विश्वात्मन! हे जगत्स्रष्टः! हे अच्युत! आप लोकनाथ हैं इस कारण हम भी सनाथ हुईं। (इंद्र के उपद्रव करने पर आपने हमारी रक्षा की)।।19।। हे जगत्पते! आप ही हमारे परम देवता हैं। गौ, ब्राह्मण, देवता और साधुओं के कल्याणार्थ आप ही हमारे इंद्र हैं।।20।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भा. स्क. 10 अध्याय 11 से 19 तक और 24 से 27 तक।
- ↑ भा. स्क. 10 अ. 27 के अंतर्गत कामधेनुकृत स्तुति का अर्थ।
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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