विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
तीसरा अध्याय
किशोरलीला
द्वितीय प्रकरण
अक्रूर जी का वैकुण्ठदर्शन[1]
अक्रूर जी द्वारा सगुण निर्गुणभेदों से स्तुति
द्वितीय अध्याय के छठे में लिखा जा चुका है कि कंस द्वारा भेजे गये अक्रूर जी भगवान् को ले जाने के लिए गोकुल में आये और गोपियों से विदा लेने के पीछे राम और कृष्ण को रथ में बैठाकर चले गये। नन्द जी तथा अन्य गोपगण गाड़ियों और छकड़ों में भेंटे रखकर रथ के पीछे-पीछे चले। अक्रूर जी के रथ के घोड़े वायु के समान वेगवान थे। वे शीघ्र ही यमुना जी के तट पर पहुँच गये। अक्रूर जी ने रथ को वृक्षों की झाड़ियों में खड़ा कर दिया और श्रीकृष्ण तथा बलराम को रथ से उतारकर यमुना के पास ले गये। उन दोनों भाइयों ने यमुना जी के इन्द्रनीलमणि के समान श्यामवर्ण जल से हाथ, पैर और मुँह धोये तथा जल पिया। तब अक्रूर जी उनको फिर रथ में बैठाकर उनसे आज्ञा लेकर स्नान करने के लिए यमुना जी की ओर लौटे। उन्होंने विधिपूर्वक यमुना जी में मध्याह्नस्नान आरंभ किया। वे जल में डुब की मारकर प्रणवादि मंत्र का जप करने लगे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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