विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
पहला अध्याय
बाललीला
द्वितीय प्रकरण
श्रीकृष्णजन्म
वसुदेव कृत स्तुति[1]
(वसुदेव जी ने पहले पुत्रबुद्धि से देखा फिर उस बुद्धि को त्यागकर वे कहने लगे-) हे ईश्वर! मैंने आपको जान लिया- आप प्रकृति से पर साक्षात पुरुष हैं, केवल अनुभव तथा आनन्द स्वरूप हैं और संपूर्ण प्राणियों की बुद्धि के साक्षी (अन्तर्यामी) हैं।।13।। (शंका- देवकी के उदर में प्रविष्ट होने वाले की अधिक स्तुति क्यों करते हो? समाधान-) हे भगवान! वही आप सृष्टि के आरंभ में अपनी माया द्वारा इस त्रिगुणात्मक जगत को उत्पन्न करके तदनन्तर इसमें प्रविष्ट न होकर भी प्रत्यक्ष अथवा सद्रूप से भी प्रविष्ट हुए- से प्रतीत होते हैं। (श्रुति भी प्रतिपादन करती है ‘तत्सृष्ट्वा तदेवानुप्राविशत्’ इस प्रकार देवकी के उदर में प्रविष्ट से भासते हैं)।।14।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ (भा. 10।3)
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