विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
दूसरा अध्याय
माधुर्यलीला
पंचम प्रकरण
रासलीला
उत्तरार्ध[1]
युग्मश्लो की गोपीगीत
गोपियाँ भगवान् का दर्शन करने के लिए अति उत्कण्ठित होकर अनेकों प्रकार के गीत गाने लगीं, और नाना प्रकार के प्रलाप करती हुई अन्त में ऊँचे स्वर से रोने लगीं। उस समय जिनका मुखारविन्द हास्ययुक्त है, वे पीताम्बरीधारी भगवान पुष्पमाला धारण किये हुए उस स्थान में प्रकट हुए। गोपियाँ इस प्रकार अकस्मात प्रकट हुए भगवान को अपने प्रफुल्लित नेत्र-कमलों से देखकर एक साथ इस तरह खड़ी हो गयीं जैसे मूर्च्छा से जागे हुए पुरुष में चेतना आने पर उसके हाथ, पैर आदि अंग एक साथ हिलने चलने लग जाते हैं। तदनन्तर गोपियों ने अपने पृथक-पृथक भावों से भगवान के मुखकमल का दर्शन किया और विरह से उत्पन्न हुए ताप को ऐसे त्याग दिया जैसे कि मोक्ष की इच्छा करने वाला पुरुष ईश्वर को पाकर संसार के ताप को त्याग देता है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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