विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
तीसरा अध्याय
किशोरलीला
द्वितीय प्रकरण
अक्रूर जी का वैकुण्ठदर्शन
अक्रूर जी द्वारा सगुण निर्गुणभेदों से स्तुति
उनके वक्षः स्थल में श्रीवत्स का चिह्न है, तथा कण्ठ में कौस्तुभमणि और वनमाला सुशोभित है। ब्रह्मा एवं रुद्रादि देवता, मरीचि, नारद एवं सनकादि देवर्षिगण तथा नन्द, सुनन्द और प्रह्लाद आदि पार्षदगण उनकी स्तुति कर रहे हैं। लक्ष्मी, पुष्टि, सरस्वती, कान्ति, कीर्ति, तुष्टि, इला, ऊर्जा, विद्या, अविद्या, शक्ति और मायारूप बारह शक्तियाँ उनकी सेवा कर रही हैं। ऐसे भगवान देखकर अक्रूर जी की प्रीति अत्यंत बढ़ गयी, उनके शरीर में रोमांच हो गया, आनन्द से नेत्रों में आँसू भर आये और वे धैर्यपूर्वक हाथ जोड़कर भगवान् को नमस्कार कर गद्गदवाणी से स्तुति करने लगे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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