भागवत स्तुति संग्रह पृ. 251

भागवत स्तुति संग्रह

तीसरा अध्याय

किशोरलीला
द्वितीय प्रकरण
अक्रूर जी का वैकुण्ठदर्शन

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अक्रूर जी द्वारा सगुण निर्गुणभेदों से स्तुति


उसी समय उन्होंने यमुना जी के भीतर एक स्थान में श्रीकृष्ण और बलराम जी को देखा। किन्तु जब उन्होंने अपना मस्तक जल से ऊपर उठाकर रथ की ओर देखा तो श्रीकृष्ण और बलराम को पूर्ववत रथ में बैठे पाया। अक्रूर जी ने यह देखने के लिए कि, मुझे जल के भीतर जो दर्शन हुआ था वह सत्य है या झूठ, फिर डुब की लगायी। अबकी बार वे क्या देखते हैं कि वहाँ नीले वस्त्र धारण किये श्रीशेष भगवान विराजमान हैं। उनके सहस्र मस्तकों में रत्नों से देदीप्यमान सहस्र किरीट सुशोभित हो रहे हैं। सिद्ध, चारण, गन्धर्व और असुर उनकी स्तुति कर रहे हैं तथा उनके कुण्डलाकार आधे शरीर पर भगवान पीताम्बर पहने हुए हैं और उनका वर्ण मेग के समान श्याम है। उनके चार भुजाएँ हैं, शान्त मुद्रा है, कमल के फूल के समान कुछ-कुछ लाल नेत्र हैं, प्रसन्न हास्ययुक्त मुख है, सुंदर भ्रुकुटी है, ऊँची नासिका है, सुंदर कान हैं, मनोहर कपोल हैं, लाल-लाल अधर हैं, घुटनों तक लम्बी और मांसल भुजाएँ हैं, ऊँचे कंधे हैं, उनके वक्षः स्थल में लक्ष्मी जी विराजमान हैं। काम्बु के समान कण्ठ है। गहरी नाभि है तथा पीपल के पत्ते के समान पेट है जिसमें तीन वलियाँ पड़ी हुई हैं। उनका कटितट अति विशाल है, सुंदर श्रेणी है, हाथी की सूँड़ के समान मनोहर जंघाएँ हैं- थोड़ी ऊँची एड़ी है, लाल-लाल नख हैं, बहुत से रत्नों से जड़ा हुआ किरीट है, तथा कड़े तोड़े, बाजूबन्द, मेखला, यज्ञोपवीत, हार और नूपुर आदि आभूषणों के कारण उनकी अपूर्व शोभा है। वे दाहिने हाथ में कमल और शेष तीन हाथों में शंख, चक्र, गदा धारण किये हैं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

भागवत स्तुति संग्रह
प्रकरण पाठ का नाम पृष्ठ संख्या
उपोद्घात
1. श्री शुकदेव कृत स्तुति 1
पहला अध्याय
प्रथम- बाललीला 2. देवगण कृत स्तुति 13
द्वितीय- श्रीकृष्ण जन्म 3. वसुदेव कृत स्तुति 27
4. देवकी कृत स्तुति 32
तृतीय- शिशु लीला 5. नलकूबर और मणिग्रीव कृत स्तुति 36
चतुर्थ- कुमारावस्था लीला 6. ब्रह्मा कृत स्तुति 46
पंचम- पौगण्डावस्था लीला पूर्वार्ध 7. नाग पत्नियों द्वारा की हुई स्तुति 73
8. कालिय कृत स्तुति 87
षष्ठ- पौगण्डावस्था लीला उत्तरार्ध 9. इंद्र तथा कामधेनु कृत स्तुति 89
दूसरा अध्याय
प्रथम- माधुर्य लीला 10. माधुर्य का प्रादुर्भाव 99
द्वितीय- चीरहरण लीला 11. ब्राह्मणों द्वारा की हुई स्तुति 117
तृतीय- रास का आह्वन 12. गोपी कृत स्तुति 131
चर्तुर्थ- रासलीला पूर्वार्ध 13. गोपियों द्वारा विरहावस्था में की हुई स्तुति 153
पंचम- रासलीला उत्तरार्ध 14. युग्मश्लो की गोपीगीत 176
षष्ठ- गोपियों से विदाई 15. गोपी-आक्रन्दन 195
सप्तम- उद्धव जी द्वारा गोपियों को संदेश 16. गोपी क्रंदन 207
अष्टम- परिशिष्ट 17. उद्धव जी कृत गोपी स्तुति 221
नवम- ब्रह्मज्ञानवती गोपियाँ गोपी कृत विनती 234
तीसरा अध्याय
प्रथम- किशोर लीला 18. नारद कृत स्तुति 238
द्वितीय- अक्रूर जी का वैकुण्ठदर्शन 19. अक्रूर कृत स्तुति 250
तृतीय- मथुरा की लीलाएँ 20. अक्रूर जी स्तुति 271
चतुर्थ- मथुरा छोड़ना 21. मुचुकुन्द कृत स्तुति 288
चौथा अध्याय
प्रथम- द्वारका लीला 22.रुक्मिणी का पत्र 299
द्वितीय- श्रीकृष्ण जी के विवाह 23. भूमि कृत स्तुति 310
तृतीय- रुक्मिणी के साथ भगवान का विनोद 24. रुक्मिणी कृत स्तव 320
चतुर्थ- बाणासुर का अभिमान भंजन 25. ज्वर कृत स्तुति 335
26. रुद्र कृत स्तुति 341
पंचम- पौण्ड्रक और राजा नृग का उद्धार 27. नृग कृत स्तुति 348
षष्ठ- भगवान का गार्हस्थ्य जीवन 28. बन्दी राजाओं का प्रार्थना पत्र 354
सप्तम- जरासन्ध और शिशुपालादि का वध 29. कारागृह मुक्त राजाओं द्वारा की गयी स्तुति 362
अष्टम- सुदामा का चरित्र और वसुदेव जी का यज्ञ 30. ऋषि कृत स्तुति 374
नवम- देवकी के छः मृत पुत्रों का उद्धार 31. बलि कृत स्तुति 384
32. वसुदेव कृत स्तुति 392
33. श्रुतदेव कृत स्तुति 402
दशम- महाभारत के युद्ध का अंत 34. कुन्ती कृत स्तुति 406
35. भीष्म कृत स्तुति 425
एकादश- भगवान का इन्द्रप्रस्थ से जाना 36. इन्द्रप्रस्थ की स्त्रियों द्वारा कृत स्तुति 431

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