विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
तीसरा अध्याय
किशोरलीला
द्वितीय प्रकरण
अक्रूर जी का वैकुण्ठदर्शन
अक्रूरकृत स्तुति[1]
अखिल प्रपञ्च के कारण महदादि के भी कारण, अविनाशी आदिपुरुष आप नारायण को मैं नमस्कार करता हूँ, जिनके नाभि से उत्पन्न हुए कमल से ब्रह्मा जी प्रकट हुए और उनसे इस लोक का आविर्भाव हुआ।।1।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भा. स्क. 10 अध्याय 40।
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