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भक्ति सुधा -करपात्री महाराज
श्रीरामभद्र का ध्यान
अत्यन्त स्निग्ध, सचिक्कण, श्यामल अलकावलियाँ मुखचन्द्र पर ऐसी शोभित होती हैं जैसे नागों के छोटे-छोटे चमकीले श्यामल शिशु चन्द्रमा पर अमृत पाने के लोभ से विराज रहे हों। चंचलता के समय मानो नागशिशु चन्द्रमा से लड़ते हैं और स्थिरता के समय मानो सौन्दर्य-माधुर्य अमृत का पान करके लोटपोट हो रहे हैं। अथवा अमृतमय मुखचन्द्र और नयनकमल एवं अलकावली का सामंजस्य ऐसा सुन्दर लगता है, मानो पूर्णचन्द्र के समक्ष कमलदल देखकर कौतुक से विपुल अलिवृन्द आ गये हों। किंवा नीलमणीन्द्रमय मुखचन्द्र में कमलदल सरीखे आयत नयनों को देखकर मानो आश्चर्य से अलकावली के छद्म से भ्रमरबृन्द आये हों। अथवा मानो भगवान का मुख एक अद्भुत पद्म है जो पूर्वोक्त प्रकार से श्रृंगार, पूर्णानुराग या आनन्दसार सरोवर से उत्पन्न है। अथवा चन्द्रसार-सरोवर से उत्पन्न अद्भुत दीप्तिसम्पन्न लोकोत्तर नील कमल हैं जिसके सौन्दर्य-माधुर्यमय मादक मधुपान करने के लिये अलिकुलमाला अलकावली के व्याज से घेरे हैं। मानो मादक मधुर मधु का पान का मत्त हुए भ्रमर गुंजार और चांचल्य छोड़कर विभोर हो रहे हैं। किंवा यह अलकावली के छद्म से “अलं अत्यर्थ ब्रह्मात्मकं सुखं येषां ते अलकाः” इस व्युत्पत्ति के अनुसार ब्रह्मविद् ही प्रभु के मुखपद्म के मादक माधुर्य-मधु का पान कर लोट-पोट हो रहे हैं। मनोहर भाल पर सूर्य की दो दिव्य किरणों के समान किंवा विद्युत् की दो रेखाओं के समान कुंकुम-तिलक ऐसा शोभित होता है, मानो कामदेव ने भ्रुकुटिरूप मरकत धनुष को तानकर दो तेजोमय कनकशर तमःस्तोक के लिये संधान किये हों। कामधनुष को भी लजाने वाली दिव्य श्यामल स्निग्ध भ्रुकुटी बड़ी ही सुन्दर है। किंचित् अरुणिमा को लिये हुए नील कमलदल के सरीखे सुन्दर नयन कर्ण पर्यन्त शोभा दे रहे हैं। किंचित् अरुण और सित नयनों के कोने बड़े मनोहर हैं। उनकी अरुणिमा मानो भक्तों के मनोरथों को रचने वाली रजोगुणात्मिका और स्वच्छता भक्तों के अभिलषित पदार्थों की रक्षा करने वाली सत्त्वात्मिका माया है। शुकतुण्ड को लजाने-वाली बड़ी ही सुन्दर नासिका है। मानो नासिका पर ही मनोहर मुकुट और अलक एवं भाल पर तिलक की शोभा आकर रुकी है। अति ललित गण्डमण्डल और विशाल भाल पर सुन्दर तिलक की झलक निराली ही है। मंजु मुख-मयंक पर सुन्दर भौहें सुन्दर अंक के समान भासित होती है। वंक भौहें और भाल में विराजमान मनोहर कुंकुमरेखा अद्भुत शोभा सरसा रही है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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