विषय सूची
भक्ति सुधा -करपात्री महाराज
श्री रासपञ्चाध्यायी
थोड़ी देर के बाद जब उत्तर की आशा समाप्त हो गयी, तब व्रजांगनाओं को सूझा- “सखियो! यह भी श्रीश्याम का पता न देगी, क्योंकि यह श्रीश्यामसुन्दर के उत्संग से सुखिनी है और उनके इस भाव की सम्भवतः कल्पना कर रही है कि ‘वे रसिकेन्द्र श्रीश्याम इनको किसी कारणवश विप्रयोगदुःख के लिये अन्तर्धान हुए हैं, अतः उनकी कृपापात्र बनी रहने के लिये मुझे भी उनका पता नहीं देना चाहती।’ दूसरे, वे अपने श्रीहस्त से इसका स्पर्श करते गये हैं, मानो इसे समझाते गये हैं कि गोपांगनाजन को मेरा पता मत देना।” यों उस मल्लिका के प्रति अवहेलना से देखतीं व्रजांगनाओं की दृष्टि फिर उसी अवहेलना से ‘जाती’ पर पड़ती है और वे प्रिय प्राप्ति के लिये मिन्नतों के स्थान पर उसकी निन्दा करती हैं। परन्तु उनको यह कुछ पता नहीं है कि प्रेमोन्माद उनसे क्या-क्या करा रहा है। अस्तु, वे जाती से कहती है- “तुम उन मोहन के लिये सुख जनन करने वाली अवश्य हो। परन्तु ‘जो अभिभवे’ धातु से तुम्हारी रचना हुई है। हमारे रोने से तुम्हें सुख मिलता है। खल सज्जनों को दुःखी देखकर प्रसन्न होते हैं। सखियों, इसमें और कुछ तत्त्व नहीं, केवल सुमनोविकाश मात्र ही रह गया है। हाँ, यह यूथिका एक अवश्य ऐसी है, जो हमें श्रीश्याम को बतला सकती है, क्योंकि यह यूथी- गोपांगना सहित श्रीनन्दनन्दन को ‘को’- आनन्द देती है। अच्छा, बहन यूथिके! अब तुम्हीं हमारा अवलम्ब हो। ये मालती, लक्ष्मी, राधा, आदि केवल उन नवनागर को ही सुख देती हैं, परन्तु तुम केवल कृष्णपक्ष पातिनी नहीं हो, हमारा भी पक्ष रखती हो। अतः श्रीश्याम का पता देकर हमें सुखिनी करो। हम उनके दर्शन बिना बहुत व्याकुल हैं।” थोड़ी प्रतीक्षा करके देखने पर भी जब कुछ उत्तर नहीं मिला, यूथिका ज्यों-की-त्यों खड़ी ही रही, तब उन व्रजदेवियों ने समझा- ‘यह बतलाती तो अवश्य, परन्तु वे नागर शिरोमणि ‘कर स्पर्श’ से हमें बतलाने का निषेध करते गये हैं, तब बिचारी कैसे बतलाये? अथवा जब कृष्ण के साथ हम होती हैं, तभी यह हमें आनन्दित करती है, उनके बिना यह हमारी ओर ताकती तक नहीं।” इस तरह इन लताओं का गुण स्तवन, असूया आदि करतीं, कृष्णान्वेषणतत्परा व्रजबालाओं की दृष्टि आम्रादि बड़े वृक्षों पर पड़ी। उन्होंने सोचा- “ये लता आदि क्षुद्र क्षुप हैं, केवल पुष्प वाले हैं, इनसे किसी को ‘फल’ न मिलेगा, चलो न बड़े फली वृक्षों से अपना मनोरथ कहें”-
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रम संख्या | विषय | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज