महाभारत कथा -अमृतलाल नागर
अभिमन्यु का विवाह
ब्याह के बाद बड़ी भारी जेवनार हुई। समधियों को सोने के थालों और हीरे-जवाहरात जड़ी कटोरियों में छप्पन भोग परोसे गये। जो लोग मांस खाने वाले थे, उनके लिए तरह-तरह के मांस भोजन थे और जो लोग शाकाहारी थे, उनके लिए भी तरह-तरह की स्वादिष्ट सामग्रियां बनी थी। पुराने लोग खाने में बड़े धाकड़ होते थे। सबने खूब डटकर भोजन किया लेकिन सबसे ज्यादा मज़ा तो अभिमन्यु के मंझले ताऊ महाबली भीम पाण्डव को खाने में आया। अपने दुःख के दिनों में चूंकि वे अपने समधी के महलों में रसोइयों का काम कर चुके थे इसलिए पहले तो वह संकोच करते रहे लेकिन जब श्रीकृष्ण, बलदेव, सात्यकि आदि सब भाई-बन्धु हंसी-हंसी में ललकारने लगे तब उन्हें भी जोश आ गया। श्रीकृष्ण ने कहा- "भीम भैय्या बड़े पेटू बनते हो जरा समधी के यहाँ अपनी करामात दिखाओ तो हम लोग भी देखें।" सुनकर सब लोग हंस पड़े। राजा विराट तुरन्त भीम के पास जा पहुँचे और हाथ जोड़कर कहा- "समधी जी, आपके भाइयों ने तो आपको भोजन करते देखा है पर मुझे कभी ऐसा मौका नहीं मिला। मैंने यह भी सुना है कि कुछ राक्षसों के लिए बनाया गया छकड़ा भर भोजन आप अकेले ही चटकर गये थे। हमको यह बात सुनकर विश्वास नहीं हुआ था। क्या सचमुच आप इतना भोजन कर सकते हैं?" सुनकर भीम अपनी कमर का फेटा ढीला करके तनकर बैठ गये और कहा कि लाइये, क्या-क्या खिलाना चाहते हैं मुझे? लड्डू कचौड़ियों और मालपुआ के डले के डले आने लगे और भीम दनादन उन्हें अपने पेट के खजाने में डालने लगे। दूसरे लोगों की भूख तो उनका खाना देखकर ही मिट गयी। खूब हंसी-मजाक रहा। दूसरे दिन महाराज के गुप्त मंत्रणा गृह में आठ-दस बड़े-बड़े राजे-महाराजे इकट्ठे हुये। कमरे के चारों ओर कड़ा पहरा लगा दिया गया जिससे कि कोई बाहर वाला उनकी बातें सुनने के लिए आस-पास छिपकर खड़ा न हो सके। श्रीकृष्ण ने सबसे कहा- "भाइयों, हमने यह माना कि धर्मराज से जुआ खेलने की चूक हुई थी परन्तु उसके लिए उन्होंने अपने भाइयों और द्रौपदी रानी के साथ बहुत दुःख भोग लिये। बारह वर्ष जंगलों में भटकते हुये बिताये। तेरहवें वर्ष में अज्ञातवास की शर्त भी उन्होंने सफलतापूर्वक पूरी की। अब हम समझते हैं कि हस्तिनापुर वालों में यह कहा जाय कि कम से कम इनका आधा राजपाट वे लौटा दें। आपस का मामला है, दोनों ही अपने सगे-सम्बन्धी हैं, इसलिए हम सबको मिलकर अब इस झगड़े को समाप्त करा ही देना चाहिए।" |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | विषय का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज