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महाभारत कथा -अमृतलाल नागर
भीष्म-युधिष्ठिर की भेंट
अर्जुन का बेटा नौजवान अभिमन्यु, श्री रामचन्द्र के वंशज अवध नरेश राजा बृहदनल से टक्कर ले रहा था। राजा बृहदनल ने सामना होते ही ऐसी बाण वर्षा की कि अभिमन्यु के रथ का झण्डा कट कर गिर गया, साथ ही उसका सारथि भी मारा गया। जब अभिमन्यु ने यह देखा तो तप कर ऐसी घनघोर बाण वर्षा की कि बृहदनल का सारथि मारा गया और वह बुरी तरह से घायल होकर खुद ही अपना रथ हांककर आगे बढ़ गया। एक मोर्चे पर भीम और दुर्योधन में ठन गई। दूसरे मोर्चे पर नकुल और दुःशासन आपस में तलवारबाजी करने लगे। चारों ओर जय-जयकार और हाहाकार ही मच रहा था। दोनों पक्षों के सैनिकों के लिए नौकर लोग पानी और शकर पूड़ियां लिए हुए डाले रहे थे। सैनिक लड़ते-लड़ते पीछे आते नौकर उन्हें शकर पूड़ी खिलाते, पानी पिलाते और इस तरह ताजे होकर सैनिक मैदान में फिर डट जाते थे। युद्ध की भूमि में सैनिकों का भोजन ऐसे ही होता है। सूर्योदय से सूर्यास्त तक खूब घमासान युद्ध मचा सैकडों मरे, हजारों घायल हुए। इस तरह भारत युद्ध पहला दिन बीत गया। दूसरे दिन और भी घमासान लड़ाई हुई। पाण्डवों की सेना ने पराक्रम तो बहुत दिखलाया लेकिन भीष्म पितामह के हाथों से उनकी सेना का नाश बहुत हुआ। अर्जुन किसी और मोर्चे पर युद्ध कर रहे थे। जिधर अर्जुन लड़ रहे थे उधर कौरव सेनाओं का सफाया हो रहा था। तीसरे दिन भीष्म ने पाण्डवों की सेना का बड़ा नाश किया। सबसे दुःख की बात यह हुई कि विराट का बेटा राजकुमार उत्तर उस दिन घमासान युद्ध करने के बाद भीष्म पितामह के हाथों मारा गया। अपने साले की मृत्यु होने के कारण वीर अभिमन्यु को हार्दिक दुःख हुआ, साथ ही साथ विराट के दूसरे पुत्र श्वेत को भी बहुत गुस्सा चढ़ आया। इन दोनों नौजवानों ने और इनके साथ ही साथ भीम के राक्षस बेटे घटोत्कच ने यह प्रतिज्ञा की कि अगले दिन वे मिल कर कौरव सेना के वीरों से ऐसी घमासान लड़ाई लड़ेंगे कि उन्हें छटी का दूध याद आ जायेगा। अगले दिन का युद्ध बड़ा ही भीषण हुआ। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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