विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
चौथा अध्याय
द्वारकालीला
चतुर्थ प्रकरण
बाणासुर का अभिमान भंजन
ज्वरकृत स्तुति
(शंका- देवकी के पुत्र को ऐसा सामर्थ्य कहाँ से हो सकता है? समाधान-) लीला से स्वीकार किये गये विविध प्रकार के मत्स्यादि अवतारों से आप देवता, साधुओं और वर्णाश्रमधर्म की मर्यादा का पालन करते हैं और हिंसा के द्वारा कुमार्ग में प्रवृत्त दैत्यों का वध करते हैं, इसी प्रकार यह भी आपका अवतार भूमि के भार को दूर करने के निमित्त है।[आप किसी के पुत्र नहीं हैं।] ।।27।। प्रथम शान्त, अंत में असह्य प्रतीत होने वाले आपके तेजरूपी ज्वर से मैं संताप को प्राप्त हो रहा हूँ। जीव को तब तक ही ताप होते हैं जब तक वे आशा से बँधे हुए आपके चरणकमल का सेवन नहीं करते।।28।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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