विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
दूसरा अध्याय
माधुर्यलीला
प्रथम प्रकरण
माधुर्य का प्रादुर्भाव[1]
वेणुगीत
अब माधुर्यरसोपेत भक्ति का वर्णन आता है। माधुर्य का अर्थ है मिठास। रस का अर्थ है आनन्द, भक्तिशास्त्र में रस के पाँच प्रधान भेद हैं अर्थात वात्सल्य, दास्य, सख्य, शान्त और माधुर्य। प्रथम चार रसों का समावेश माधुर्यरस में है। इस रस का वर्णन प्रेम की भाषा में होताहै। प्रेम का अतिशय विकास विरह की अवस्था में होता है। इन सबका इस अध्याय में संग्रह करके विचार करते हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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