भागवत स्तुति संग्रह पृ. 46

भागवत स्तुति संग्रह

पहला अध्याय

बाललीला
चतुर्थ प्रकरण
कुमारावस्थालीला[1]

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ब्रह्माकृत स्तुति

 
श्रीकृष्ण वृष्णिकुलपुष्करजोषदायिन्
क्ष्मानिर्जरद्विजपशूदधिवृद्धिकारिन्।
उद्धर्मशार्वरहर क्षितिराक्षसध्रु-
गाकल्पमार्कमर्हन् भगवन्नमस्ते ।।[2]

पूतनावध आदि अद्भुत चरित्रों को देखकर गोकुलवासियों को संदेह होने लगा कि क्या ये कार्य बालकरूप श्रीकृष्ण के ही हैं। इन गोप-गोपियों को तो माधुर्यभाव ही इष्ट था। ये तो भगवान को अपना पुत्र, सखा प्रियरूप से ही देखना चाहते थे। इस कारण भगवान भी अत्यंत बालभाव का ही अनुकरण करते रहते थे। जब कोई गोपी कहती कि तू बड़ा अच्छा नृत्य करता है, तब भगवान बालक के समान नृत्य करने लगते। ऐसे ही जब गाने की प्रशंसा की जाती तो ऊँचे स्वर से गाने लगते थे। जब कोई गोपी कहती ‘भय्या! वह पीढ़ा, पसेरी और पाँवड़ी तो उठा ला’ तब उन भारी वस्तुओं को लाने में असमर्थ होकर भी लाने का प्रयत्न करते। कभी अपने साथी बालकों के साथ मल्लयुद्ध करने को उद्यत हो जाते। इस प्रकार वे तरह-तरह की बालक्रीड़ाएँ करके गोकुलवासियों के चित्त में हर्ष उत्पन्न करते थे।

किन्तु ये लोग गोकुल में नित्य नये उत्पात होते देखकर नाना प्रकार की शंकाएँ करने गे। और सब गोपों ने मिलकर अन्यत्र जाने का निश्चय कर लिया। फिर वे सब लोग वृन्दावन में आकर बस गये। यह वन बड़ा सुहावना और नये-नये उद्यानों से युक्त था। इसमें गोपाल, गोपी और गौओं के सेवन करने योग्य पवित्र पर्वत, तृण और लताओं की बहुलता थी। इस समय भगवान् की अवस्था पाँच वर्ष की थी। वे गोप बालकों के साथ गाय चराने को दूर-दूर स्थानों में जाने लगे।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भा. 10।11 से 10 तक।
  2. अर्थ इसी प्रकरण के श्लोक 40 की टीका में देखिये।

संबंधित लेख

भागवत स्तुति संग्रह
प्रकरण पाठ का नाम पृष्ठ संख्या
उपोद्घात
1. श्री शुकदेव कृत स्तुति 1
पहला अध्याय
प्रथम- बाललीला 2. देवगण कृत स्तुति 13
द्वितीय- श्रीकृष्ण जन्म 3. वसुदेव कृत स्तुति 27
4. देवकी कृत स्तुति 32
तृतीय- शिशु लीला 5. नलकूबर और मणिग्रीव कृत स्तुति 36
चतुर्थ- कुमारावस्था लीला 6. ब्रह्मा कृत स्तुति 46
पंचम- पौगण्डावस्था लीला पूर्वार्ध 7. नाग पत्नियों द्वारा की हुई स्तुति 73
8. कालिय कृत स्तुति 87
षष्ठ- पौगण्डावस्था लीला उत्तरार्ध 9. इंद्र तथा कामधेनु कृत स्तुति 89
दूसरा अध्याय
प्रथम- माधुर्य लीला 10. माधुर्य का प्रादुर्भाव 99
द्वितीय- चीरहरण लीला 11. ब्राह्मणों द्वारा की हुई स्तुति 117
तृतीय- रास का आह्वन 12. गोपी कृत स्तुति 131
चर्तुर्थ- रासलीला पूर्वार्ध 13. गोपियों द्वारा विरहावस्था में की हुई स्तुति 153
पंचम- रासलीला उत्तरार्ध 14. युग्मश्लो की गोपीगीत 176
षष्ठ- गोपियों से विदाई 15. गोपी-आक्रन्दन 195
सप्तम- उद्धव जी द्वारा गोपियों को संदेश 16. गोपी क्रंदन 207
अष्टम- परिशिष्ट 17. उद्धव जी कृत गोपी स्तुति 221
नवम- ब्रह्मज्ञानवती गोपियाँ गोपी कृत विनती 234
तीसरा अध्याय
प्रथम- किशोर लीला 18. नारद कृत स्तुति 238
द्वितीय- अक्रूर जी का वैकुण्ठदर्शन 19. अक्रूर कृत स्तुति 250
तृतीय- मथुरा की लीलाएँ 20. अक्रूर जी स्तुति 271
चतुर्थ- मथुरा छोड़ना 21. मुचुकुन्द कृत स्तुति 288
चौथा अध्याय
प्रथम- द्वारका लीला 22.रुक्मिणी का पत्र 299
द्वितीय- श्रीकृष्ण जी के विवाह 23. भूमि कृत स्तुति 310
तृतीय- रुक्मिणी के साथ भगवान का विनोद 24. रुक्मिणी कृत स्तव 320
चतुर्थ- बाणासुर का अभिमान भंजन 25. ज्वर कृत स्तुति 335
26. रुद्र कृत स्तुति 341
पंचम- पौण्ड्रक और राजा नृग का उद्धार 27. नृग कृत स्तुति 348
षष्ठ- भगवान का गार्हस्थ्य जीवन 28. बन्दी राजाओं का प्रार्थना पत्र 354
सप्तम- जरासन्ध और शिशुपालादि का वध 29. कारागृह मुक्त राजाओं द्वारा की गयी स्तुति 362
अष्टम- सुदामा का चरित्र और वसुदेव जी का यज्ञ 30. ऋषि कृत स्तुति 374
नवम- देवकी के छः मृत पुत्रों का उद्धार 31. बलि कृत स्तुति 384
32. वसुदेव कृत स्तुति 392
33. श्रुतदेव कृत स्तुति 402
दशम- महाभारत के युद्ध का अंत 34. कुन्ती कृत स्तुति 406
35. भीष्म कृत स्तुति 425
एकादश- भगवान का इन्द्रप्रस्थ से जाना 36. इन्द्रप्रस्थ की स्त्रियों द्वारा कृत स्तुति 431

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