विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
दूसरा अध्याय
माधुर्यलीला
सप्तम प्रकरण
उद्धव जी द्वारा गोपियों को संदेश[1]
भ्रमरगीत
श्रीकृष्ण भगवान ने जो लीलाएँ मथुरा के मार्ग में तथा मथुरा में की उनका विवरण तीसरे अध्याय के दूसरे प्रकरण में लिखा जाएगा। यहाँ गोपियों की भक्ति का प्रसंग है, इसलिए यहाँ तो माधुर्यविषय का ही संकलन करते हैं। भगवान ने मथुरा पहुँचने के कुछ समय पीछे उद्धव जी को गोकुल में भेजा, क्योंकि गोपियों ने पति, पुत्रादि त्यागकर अपना मन सर्वदा भगवान के प्रति लगा रखा था। किन्तु भगवान अब दूर ह गये थे, अतः उनको ध्यान आया कि ‘गोपियाँ मेरे विरह के कारण होने वाली उत्कण्ठा से विह्वल होकर मोहित हो रही होंगी। वे तो अब तक परमधाम को पहुँच जातीं, किन्तु मैंने यह कहकर आशा दिला दी थी कि मैं शीघ्र ही लौटकर आ जाऊँगा। इस कारण वे अपना अंतःकरण मुझ में रखकर बड़ी कठिनता से प्राण धारण कर रही होंगी।’ अतः भगवान् ने यह संदेश भेजा कि तुम्हारा और मेरा वियोग कभी नहीं हो सकता। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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