विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
पहला अध्याय
बाललीला
तृतीय प्रकरण
शिशुलीला[1]
नलकूबर और मणिग्रीवकृत स्तुति
इस प्रकार स्तुति की जाने पर चतुर्भुजधारी श्रीभगवान ने कहा- ‘हे वसुदेव जी! यदि तुम कंस से भयभीत हो तो मुझे गोकुल में पहुँचा दो। और वहाँ यशोदा के गर्भ में जो मेरी योगमाया उत्पन्न हुई है, उसे यहाँ ले आओ।’ यह कहकर श्रीभगवान मौन हो गये और माता-पिता के देखते ही तत्काल उन्होंने अपनी योगमाया से बालक के समान छोटा रूप धारण कर लिया। फिर बालरूप भगवान को लेकर वसुदेव जी बाहर आये। उस समय भगवान की माया ने द्वारपालों को चेष्टारहित कर दिया और दरवाजों के किवाड़ अपने आप खुल गये। भाद्र का महीना था। भयंकर वर्षा हो रही थी। मथुरा और गोकुल के बीच श्रीयमुना जी का प्रवाह अत्यंत बढ़ा हुआ था और वे जोरों से बह रही थीं। वसुदेव जी ने उसी बढ़ी हुई यमुना में प्रवेश किया और बालक को सिर पर रख लिया। ज्यों ही बालक के चरणों का स्पर्श हुआ, यमुना माता का जल फिर चरणों से ऊपर नहीं बढ़ा। इस प्रकार वसुदेव जी आनन्दपूर्वक गोकुल में पहुँच गये। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज