विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
तीसरा अध्याय
किशोरलीला
तृतीय प्रकरण
मथुरा की लीलाएँ[1]
अक्रूर जी स्तुति
अक्रूर जी के स्तुति करने पर भगवान ने अपना रूप उस तरह समेट लिया जैसे अभिनय करने के पीछे नट अपना सारा साज समेट लेता है। अक्रूर जी अपना मध्याह्न का कृत्य समाप्त कर रथ के समीप आये और कहा- ‘हे ब्रह्मरूप कृष्ण! मैंने आपके विश्वरूप का दर्शन किया और आपका ही सर्वत्र आश्चर्यमय रूप देखा।’ इतना कहकर अक्रूर जी ने मथुरा की ओर रथ हाँका और वहाँ पहुँचने पर नन्दादि गोपों को नगर के समीप एक बाग में बैठे देखा, क्योंकि अक्रूर जी को स्नानादि में विलम्ब हो गया था। फिर वे भगवान की आज्ञा से कंस को सूचना देने के लिए चले गये और भगवान ने अक्रूर जी को उनके घर कंस वध के पश्चात जाने का वचन दिया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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