विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
पहला अध्याय
बाललीला
तृतीय प्रकरण
शिशुलीला
नलकूबर और मणिग्रीवकृत स्तुतिभा
(वहाँ जाकर हमारा पहले के समान दुष्ट स्वभाव न हो, अतः कहते हैं-) हमारी वाणी तुम्हारे गुणगान करने में तत्पर हो। हमारे कान तुम्हारी कथाओं को सुनने में, हाथ पूजा आदि करने में, सिर आपके निवास स्थान जगत् को नमस्कार करने में और दृष्टि आपके मूर्ति स्वरूप सत्पुरुषों का दर्शन करने में तत्पर हो।।38।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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