विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
पहला अध्याय
बाललीला
द्वितीय प्रकरण
श्रीकृष्णजन्म
देवकी कृत स्तुति
(देवकी अब प्रस्तुत कार्य की प्रार्थना करती है-) हे मधुसूदन! ऐसे आप अपने भयभीत सेवक हम लोगों की क्रूर स्वभाव वाले कंस से रक्षा कीजिए, क्योंकि आप भक्तों के दुःख को दूर करने वाले हैं, किन्तु आपका जो यह (चतुर्भुज) ईश्वरीय स्वरूप मुमुक्षु पुरुषों के ध्यान करने योग्य हैं, चर्मचक्षुवाले (अज्ञानी) पुरुषों को उसका दर्शन न दीजिए।।28।। हे मधुसूदन! वह पापी कंस ‘आपका जन्म मेरे गर्भ से हुआ’ यह न जान पावे क्योंकि मैं अधीरबुद्धि आपके निमित्त ही कंस से अत्यंत भयभीत हूँ।।29।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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