भक्ति सुधा -करपात्री महाराज
वेणुगीत
अतः जो कुछ भी करे सबका पर्यवसान सत्ता में ही होता है और वही परब्रह्म है। फिर भी उनका अवान्तर अर्थ, वह और वह, विभिन्न पदार्थ ही है। घट का साक्षात अर्थ कंबुग्रीवादिमान व्यक्ति है। किन्तु जब गम्भीरता से विचार करें तब उसका अर्थ ब्रह्म ही होता है। असली रूप वही है, नकली रूप अलग-अलग है। इसलिये व्रजांगनाओं के नकली ममता के आस्पद विभिन्न गोप थे, परन्तु उनसे व्रजांगनाओं का संगम नहीं हुआ था। जब व्रजांगनाएँ श्रीकृष्ण परमानन्दकन्द के साथ रासलीला कर रही थीं, तब व्रज में ब्राह्मी रात्रि प्रकट हुई। उस रासलीला की दिव्य शोभा को देखकर चन्द्र मध्याकाश में स्थगित हो गया ‘विस्मिताः शशांकः’। छ मास की रात्रि थी, घर में सब गोपों को अपनी-अपनी दाराएँ अपने-अपने पास मिलीं- ‘मन्यमानाः स्वपार्श्वस्थान् स्वान्स्वान्दारान्व्रजौकसः।।’ एतावता यह सिद्ध हुआ कि ये व्रजांगनाएँ श्रीकृष्ण की स्वकीया थीं। जब श्रीकृष्णचन्द्र परमानन्दकन्द के संग विहार करती थीं, तब भी उनका मायामय स्वरूप सब गोपों के पास था। इसीलिये कहा- ‘न जातु’। तो बात यही आयी ‘व्रजदेवीनां पतिभिः सह संगमः’ कि जिन श्रुतियों का अवान्तर तात्पर्य इन्द्रादिकों में है, वह परकीया और जिनका साक्षात प्रभु में है वह स्वकीया हैं। इनमें भी तटस्था, प्रौढ़ा, मुग्धा इत्यादि बहुत भेद हैं। कोई निषेधमुखेन, कोई विधिमुखेन प्रभु में पर्यवसित होती हैं। इस तरह अवान्तर अर्थ भी तब तक आदरणीय है, जब तक महातात्पर्य का ज्ञान नहीं होता। लोक में भी गौण पति एवं मुख्य पति होते हैं। राजादि गौण पति और असली पति पूर्णतम पुरुषोत्तम परमात्मा हैं। जब तक उनकी प्राप्ति नहीं हुई तब तक अवान्तर पति का अनुसरण अपेक्षित ही है। जल ब्रह्म और तंरग जीव हैं। ‘सो तैं तोहिं ताहिं नहिं भेदा। वारि वीचि जिमि गावहिं वेदा।।’ जैसे वारि में वीचि, वैसे पूर्णतम पुरुषोत्तम में जीवभाव है। इनमें एक तरंग का दूसरे तरंगों के साथ सम्बन्ध गौण है। जल के साथ मुख्य, सुस्थिर, स्थायी सम्बन्ध है। परन्तु अन्तर्मुखता न होने के कारण अपने असली सम्बन्ध पर दृष्टि नहीं जाती। यदि तरंग जल का अपलाप करे तो स्वयं कैसे रहेगा? वैसे ही जीव ब्रह्म का खण्डन करेगा तो स्वयं रहेगा कैसे? वास्तव में वह ब्रह्म ही है, परन्तु अन्तर्मुख न होने के कारण को नहीं देखता- ‘आनन्दसिंधु मध्य तव वासा। बिनु जाने कत मरसि पियासा।।’ असली को भूलकर नकली को देखता है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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