भक्ति सुधा -करपात्री महाराज
श्री विष्णु-तत्त्व
व्यात्प्यर्थक ‘विष्लृ’ धातु से विष्णु शब्द की निष्पत्ति होती है, तथा च व्यापक परब्रह्म परमात्मा को ही विष्णु कहा जाता है। इस श्रुति के अनुसार यही मालूम पड़ता है कि सम्पूर्ण जगत की जिससे उत्पत्ति होती है, जिसमें स्थिति होती और जिसमें प्रलय होता है, वही ब्रह्म है विशेषरूप से अनन्तकोटि ब्रह्माण्डोत्पादिनी शक्ति में कार्योत्पत्ति के लिये प्रकाशात्मक सत्त्व चलनात्मक रज तथा अवष्टम्भात्मक तम की अपेक्षा होती है। तत्तद्गुणों की प्रधानता से ब्रह्म ही, रज के सम्बन्ध से ब्रह्मा, तम के सम्बन्ध से रुद्र एवं सत्त्व के सम्बन्ध से विष्णु बन जाता है। प्रकारान्तरेण उत्पादिनीशक्ति विषिष्ट ब्रह्म ब्रह्मा, संहारिणी शक्ति विशिष्ट ब्रह्म रुद्र तथा पालिनीशक्ति विशिष्ट ब्रह्मा विष्णु शब्द से व्यवहृत होता है। प्रकारन्तर से समष्टि कारण प्रपंचाभिमानी अव्याकृत रुद्र समष्टि-सूक्ष्म प्रपंचाभिमानी हिरण्यगर्भ विष्णु और समष्टिस्थूल प्रपंचभिमानी विराट ब्रह्मा कहा जाता है। मुख्यरूप से अव्यक्तादि के नियामक अन्तर्यामी को ही रुद्र, विष्णु, ब्रह्मा आदि कहा जाता है। यहाँ कहीं उपासना विशेष के कारण किसी जीव का ब्रह्मा होना सुना जाता है।, वह अन्तर्यामी न होकर अभिमानी ही समझा जाना चाहिये। ‘‘स एकाकी न रेमे’’, ‘‘सोविभेत्’’ इत्यादि श्रुतिवचनों में जहाँ हिरण्यगर्म में भय, अरमण आदि का श्रवण है, वहाँ हिरण्यगर्भ में जीवभाव का ही निर्णय किया गया है, क्योंकि परमेश्वर में भय, अरमण आदि कथमपि सम्भव नहीं। अभिमानी जीव भी हो सकता है, परन्तु अर्न्तयामी सर्वत्र परमेश्वर ही है। पुराणों में ब्रह्माण्डों की अनन्तता का पता लगता हैं अत एव तदनुसार विराट, हिरण्यगर्भ आदिकों की भी अनन्तता ही मालूम पड़ती है। उत्पादक-पालक-संहारक-दृष्टि से ब्रह्मा, विष्णु एवं रुद्र की अनन्तता ही सिद्ध होती है। अन्तर्यामी होने से सभी परमेश्वर ही हैं। इस विचार से उपनिषदों का विराट पुराणों का महाविराट है। अनन्तकोटि ब्रह्माण्डात्मक समष्टि स्थूल प्रपंच का एकमात्र अभिमानी एवं अन्तर्यामी उपनिषदों का विराट है। यही बात हिरण्यगर्भ और अव्यक्त के सम्बन्ध में भी समझनी चाहिये। तदनुसार ही अनन्तकोटि ब्रह्माण्डात्मक सम्पूर्ण विश्व के उत्पादक ब्रह्मा, पालक विष्णु और संहारक रुद्र, सर्वथा एक ही हैं। वे ही महाविष्णु, महारुद्र आदि नामों से भी यत्र-तत्र व्यवहृत होते हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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