भक्ति सुधा -करपात्री महाराज
अव्यभिचार भक्तियोग
परमात्मा प्रत्यगात्मा (अन्तरात्मा) रूप से प्रतिष्ठित होते हैं। प्रत्यगात्मा परमात्मा की प्रतिष्ठा है। अथवा ‘अहं’ पद का अर्थ प्रत्यक्चैतन्याभिन्न, मायातीत, अदृश्य, अग्राह्य, अलक्षण, निर्विकल्प, निर्विशेष शुद्ध परमात्मा है जैसा कि “मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना”, “ये त्वक्षरमनिर्देश्यं”, “ते प्राप्नुवन्ति मामेव” इत्यादि स्थलों में विवक्षित है। ब्रह्मपद का अर्थ मायाविशिष्ट सविशेष सविकल्प ब्रह्म है। इस तरह भावार्थ यह हुआ कि सविकल्प ब्रह्म की मैं निर्विकल्प ब्रह्म प्रतिष्ठा हूँ। निर्विकल्प ब्रह्म में सविकल्प ब्रह्म प्रतिष्ठित कल्पित है। मुझे सेवन करने से सविकल्प प्रपंच का उङ्घन बड़ी सरलता से हो सकता है। अथवा ‘अहं’ पद का सगुण, साकार, ब्रह्म (श्रीकृष्ण) है। अभिप्राय यह है कि मैं सगुण ब्रह्म निर्गुण ब्रह्म की प्रतिष्ठा हूँ। यहाँ ‘राहोः शिरः’ के समान सम्बन्धार्था षष्ठी अभेद में ही है। अर्थात जैसे व्यापक, अव्यक्त अग्नि, दहन, प्रकाशन, पाचनादि कार्य करने के लिये घृत, वर्त्तिकादि के सम्बन्ध से व्यक्त साकार अग्नि के रूप में प्रतिष्ठित-प्रवृत्त होता है वैसे ही निर्गुण, निराकार, निर्विकार, अव्यक्त ब्रह्म भक्तानुग्रहादि कार्य करने के लिये अपनी अचिन्त्य दिव्यलीलाशक्ति से सगुण, साकार व्यक्तरूप में प्रतिष्ठित होता है। इसीलिये सगुण ब्रह्म ही निर्गुण ब्रह्म की प्रतिष्ठा है। अतः मेरा आराधन करने से ही गुणोल्लंघन आदि भक्तानुग्रह सिद्ध होता है।” कुछ लोगों का कहना है कि सगुण ब्रह्म की प्रतिष्ठा अर्थात आधार है। जैसे आतप (घाम) की प्रतिष्ठा, उद्गम स्थान या आधार सूर्य है, सूर्य से ही निकलकर सूर्य के सहारे ही आतप रहता है वैसे ही सगुण, साकार श्रीकृष्णचन्द्र की मधुर मूर्ति ही निर्गुण ब्रह्म की प्रतिष्ठा या आधार है। सूर्यस्थानीय श्रीकृष्ण हैं, आतप-स्थानीय निर्गुण ब्रह्म है। “अनादि मत्परं ब्रह्म” इस वचन में भी ब्रह्म को ‘अनादि’ और ‘मत्परं’ कहा गया है। यहाँ ‘मत्परं’ का अर्थ यह है कि “अहं श्रीकृष्णः पर उत्कृष्टो यस्मात्तन्मत्परम्।” मैं श्रीकृष्ण ही हूँ पर-उत्कृष्ट जिससे, निर्गुण ब्रह्म से उत्कृष्ट मैं सगुण ब्रह्म हूँ। इसीलिये उन लोगों का मत है कि औपनिषद् ब्रह्मात्मदर्शियों का ब्रह्म आतप के समान है और भक्तों का भगवान सूर्यस्थानीय है। परन्तु उनका यह कथन श्रुति-सूत्रों के विरुद्ध है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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