गीता माधुर्य -स्वामी रामसुखदास
दसवाँ अध्याय
बुद्धि, ज्ञान आदि और महर्षि आदि मेरे से ही उत्पन्न होते हैं- यह करने में आपका क्या तात्पर्य है? वह दृढ़ता से मानना क्या है? उनके भजन का प्रकार क्या है भगवन्? ऐसे भक्तों के लिये आप क्या करते हैं? |
बुद्धि, ज्ञान आदि और महर्षि आदि मेरे से ही उत्पन्न होते हैं- यह करने में आपका क्या तात्पर्य है? वह दृढ़ता से मानना क्या है? उनके भजन का प्रकार क्या है भगवन्? ऐसे भक्तों के लिये आप क्या करते हैं? |