कविता बघेल (वार्ता | योगदान) ('<div class="bgmbdiv"> <h3 style="text-align:center">'''गीता माधुर्य -स्वामी रामसुखदा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
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'''जिस कर्म को मुमुक्षुओं ने किया है और जिस कर्म को करने के लिये आप आज्ञा दे रहे हैं, वह कर्म क्या है?'''<br /> | '''जिस कर्म को मुमुक्षुओं ने किया है और जिस कर्म को करने के लिये आप आज्ञा दे रहे हैं, वह कर्म क्या है?'''<br /> | ||
− | कर्म क्या है और अकर्म क्या है-इस विषय में बड़े-बड़े विद्वान् भी मोहित हो जाते हैं। अब मैं वही | + | कर्म क्या है और अकर्म क्या है-इस विषय में बड़े-बड़े विद्वान् भी मोहित हो जाते हैं। अब मैं वही कर्मतत्त्व तुझे बताता हूँ, जिसको जानकर तू संसार बन्धन से मुक्त हो जायगा। वह कर्म तीन प्रकार का है-कर्म अकर्म और विकर्म। इन तीनों के तत्त्व को जरूर जानना चाहिये; क्योंकि कर्मों का तत्त्व बड़ा ही गहन (गहरा) है।।16-17) |
− | '''कर्म और अकर्म के | + | '''कर्म और अकर्म के तत्त्व को जानना क्या है?'''<br /> |
कर्म में अकर्म देखना और अकर्म में कर्म देखना अर्थात् कर्म करते हुए निर्लिप्त रहना और निर्लिप्त रहते हुए कर्म करना-इस रीति से सम्पूर्ण कर्म करनेवाला ही योगी है, | कर्म में अकर्म देखना और अकर्म में कर्म देखना अर्थात् कर्म करते हुए निर्लिप्त रहना और निर्लिप्त रहते हुए कर्म करना-इस रीति से सम्पूर्ण कर्म करनेवाला ही योगी है, | ||
बुद्धिमान् है।।18।। | बुद्धिमान् है।।18।। |
01:21, 25 फ़रवरी 2017 का अवतरण
गीता माधुर्य -स्वामी रामसुखदास
चौथा अध्याय
इस प्रकार किसी ने कर्म किये भी हैं क्या? जिस कर्म को मुमुक्षुओं ने किया है और जिस कर्म को करने के लिये आप आज्ञा दे रहे हैं, वह कर्म क्या है? कर्म और अकर्म के तत्त्व को जानना क्या है? वह बुद्धिमानी क्या है? |