योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 70

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय

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आठवाँ अध्याय
उग्रसेन का राज्यारोहण और कृष्ण की शिक्षा


पाठक! विद्योपार्जन के समय का बड़ा भाग तो कृष्ण और बलराम का वृन्दावन के वनों में पशुओं को चराने और वंशी बजाने में व्यतीत हुआ। उस समय उनकी प्राण रक्षा के लिए उनकी वास्तविक अवस्था छिपाना आवश्यक था। पर जब कृष्ण को अपने वंश का पता लगा तो उन्होंने कुछ विद्याध्ययन करना आवश्यक समझा क्योंकि उसके बिना अपने कर्त्तव्यों का पालन नहीं कर सकते थे। क्षत्रिय वंशावतंस दोनों राजकुमारों ने इस कमी को पूरा करने का संकल्प कर लिया और वहीं से उन प्यारे गोपों को विदा कर दिया जिन्होंने बचपन में उनकी रक्षा की थी। अपने धर्म पिता नन्द और उनके संबंधियों से बड़े हौसले से आज्ञा माँगी और अपनी धर्म माता यशोदा को ममत्व और प्रेम के भरे संदेश भेजे। इसी तरह सब साथियों से गले मिलकर विदा हुए, जिनके साथ उन्होंने कैद के दिन काटे थे और जिनकी संगति में सुख की नींद सोये थे। यह विचार मानो उस समय के राजघरानों में साधारणतः अनुकूल था। अपने धर्म का ज्ञान होते ही उन सब सम्बन्धों पर लात मार बैठे। नन्द और यशोदा का स्नेह, गोपों का प्रेम और खेल-कूद उनके चित्त को चलायमान न कर सका।

कृष्ण की शिक्षा के विषय में पुराणों से बस इतना पता मिलता है कि कृष्ण के गुरु का नाम सन्दीपन था जो अवन्तीपुर[1] नामक स्थान का रहने वाला था।

  • पुराण कहता है कि कृष्ण ने सन्दीपन से केवल 24 दिन शिक्षा पाई और इसी अल्पकाल में वे सारी शास्त्रविद्या में निपुण हो गए। पर महाभारत में श्रीकृष्ण की शिक्षा का स्थान-स्थान पर वर्णन आया है जिससे विदित होता है कि कृष्ण अपने समय के परम विद्वान और वेदशास्त्र के ज्ञाता भी थे।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वर्तमान उज्जैन

संबंधित लेख

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
ग्रन्थकार लाला लाजपतराय 1
प्रस्तावना 17
भूमिका 22
2. श्रीकृष्णचन्द्र का वंश 50
3. श्रीकृष्ण का जन्म 53
4. बाल्यावस्था : गोकुल ग्राम 57
5. गोकुल से वृन्दावन गमन 61
6. रासलीला का रहस्य 63
7. कृष्ण और बलराम का मथुरा आगमन और कंस-वध 67
8. उग्रसेन का राज्यारोहण और कृष्ण की शिक्षा 69
9. मथुरा पर मगध देश के राजा का जरासंध का आक्रमण 71
10. कृष्ण का विवाह 72
11. श्रीकृष्ण के अन्य युद्ध 73
12. द्रौपदी का स्वयंवर और श्रीकृष्ण की पांडुपुत्रों से भेंट 74
13. कृष्ण की बहन सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह 75
14. खांडवप्रस्थ के वन में अर्जुन और श्रीकृष्ण 77
15. राजसूय यज्ञ 79
16. कृष्ण, अर्जुन और भीम का जरासंध की राजधानी में आगमन 83
17. राजसूय यज्ञ का आरम्भ : महाभारत की भूमिका 86
18. कृष्ण-पाण्डव मिलन 89
19. महाराज विराट के यहाँ पाण्डवों के सहायकों की सभा 90
20. दुर्योधन और अर्जुन का द्वारिका-गमन 93
21. संजय का दौत्य कर्म 94
22. कृष्णचन्द्र का दौत्य कर्म 98
23. कृष्ण का हस्तिनापुर आगमन 101
24. विदुर और कृष्ण का वार्तालाप 103
25. कृष्ण के दूतत्व का अन्त 109
26. कृष्ण-कर्ण संवाद 111
27. महाभारत का युद्ध 112
28. भीष्म की पराजय 115
29. महाभारत के युद्ध का दूसरा दृश्य : आचार्य द्रोण का सेनापतित्व 118
30. महाभारत के युद्ध का तीसरा दृश्य : कर्ण और अर्जुन का युद्ध 122
31. अन्तिम दृश्य व समाप्ति 123
32. युधिष्ठिर का राज्याभिषेक 126
33. महाराज श्रीकृष्ण के जीवन का अन्तिम भाग 128
34. क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे? 130
35. कृष्ण महाराज की शिक्षा 136
36. अंतिम पृष्ठ 151

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