योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 36

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय

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7. पुराणों की प्राचीनता


अतः यह कहना युक्तियुक्त ही है कि महाभारत और विष्णुपुराण के जिन भागों में मूर्ति पूजा और मंदिरों का वर्णन है वे पीछे से मिलाये हुए हैं। हम निश्चयपूर्वक कह सकते हैं कि बौद्ध धर्म से पहले के साहित्य में ईश्वर के अवतार लेने का कहीं वर्णन नहीं है और न उस समय तक हिन्दुओं में [1] त्रिमूर्ति[2] की पूजा का प्रचार था, वरन् उस समय तक जाति के बंधन भी ऐसे प्रबल न थे जैसे कुछ काल पश्चात हो गए। इन बातों का विचार करके विष्णुपुराण तथा महाभारत में से भी बहुत कुछ सत्य निकल सकता है।

जातिबंधन के विषय में इतना कह देना पर्याप्त होगा कि स्वयं व्यास महाराज[3] जन्म से शूद्र थे,[4] जिससे सिद्ध होता है कि उस समय[5] जाति का कुछ अधिक विचार न था। यदि यह मान लें[6] तो यह बात स्पष्ट हो जाती है कि श्रीकृष्ण का जन्म उस समय हुआ जब देश में वैदिक धर्म अपनी वास्तविक पवित्रता में था। जाति का विचार जन्म से न था। मनुष्यों को परमात्मा का पद नहीं मिलता था। अवतारों की अभी उत्पत्ति नहीं हुई थी, मूर्तिपूजा का नाम-निशान नहीं था और हिन्दुओं की त्रिमूर्ति अभी स्थापित नहीं हुई थी। वैदिक कर्मकांड की प्रथा प्रचलित थी, बौद्ध धर्म का जन्म नहीं हुआ था, पर अनेक दर्शनों ने लोगों का विश्वास निर्बल कर दिया था और उन्हें धर्म से अश्रद्धा होने लग गई थी।

इन बातों को सम्मुख रखकर और कवि वर्णित अलंकारादि का विचार करके यदि हम महाभारत तथा विष्णुपुराण में से कुछ यथार्थ बातें चाहें तो निष्फलता कदापि संभव नहीं। तथापि यह याद रखना चाहिए कि ये बातें बड़ी कठिनाई तथा अनुसन्धान द्वारा मालूम हो सकती हैं, क्योंकि वास्तविक इतिहास का मिलना असंभव है।

उपर्युक्त विवेचन के पश्चात अब हम यह दिखलायेंगे कि क्या कृष्ण के जीवन-काल का निर्णय करना वास्तव में असंभव है या इसकी कुछ सम्भावना है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. तसलीस
  2. विष्णु, शिव और ब्रह्मा
  3. जो महाभारत के रचयिता हैं।
  4. व्यास का जन्म महर्षि पराशर और निषाद पुत्री सत्यवती से हुआ।
  5. जब व्यास जी ने महाभारत लिखी है।
  6. और इसके मानने में संकोच भी न होना चाहिए।

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योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
ग्रन्थकार लाला लाजपतराय 1
प्रस्तावना 17
भूमिका 22
2. श्रीकृष्णचन्द्र का वंश 50
3. श्रीकृष्ण का जन्म 53
4. बाल्यावस्था : गोकुल ग्राम 57
5. गोकुल से वृन्दावन गमन 61
6. रासलीला का रहस्य 63
7. कृष्ण और बलराम का मथुरा आगमन और कंस-वध 67
8. उग्रसेन का राज्यारोहण और कृष्ण की शिक्षा 69
9. मथुरा पर मगध देश के राजा का जरासंध का आक्रमण 71
10. कृष्ण का विवाह 72
11. श्रीकृष्ण के अन्य युद्ध 73
12. द्रौपदी का स्वयंवर और श्रीकृष्ण की पांडुपुत्रों से भेंट 74
13. कृष्ण की बहन सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह 75
14. खांडवप्रस्थ के वन में अर्जुन और श्रीकृष्ण 77
15. राजसूय यज्ञ 79
16. कृष्ण, अर्जुन और भीम का जरासंध की राजधानी में आगमन 83
17. राजसूय यज्ञ का आरम्भ : महाभारत की भूमिका 86
18. कृष्ण-पाण्डव मिलन 89
19. महाराज विराट के यहाँ पाण्डवों के सहायकों की सभा 90
20. दुर्योधन और अर्जुन का द्वारिका-गमन 93
21. संजय का दौत्य कर्म 94
22. कृष्णचन्द्र का दौत्य कर्म 98
23. कृष्ण का हस्तिनापुर आगमन 101
24. विदुर और कृष्ण का वार्तालाप 103
25. कृष्ण के दूतत्व का अन्त 109
26. कृष्ण-कर्ण संवाद 111
27. महाभारत का युद्ध 112
28. भीष्म की पराजय 115
29. महाभारत के युद्ध का दूसरा दृश्य : आचार्य द्रोण का सेनापतित्व 118
30. महाभारत के युद्ध का तीसरा दृश्य : कर्ण और अर्जुन का युद्ध 122
31. अन्तिम दृश्य व समाप्ति 123
32. युधिष्ठिर का राज्याभिषेक 126
33. महाराज श्रीकृष्ण के जीवन का अन्तिम भाग 128
34. क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे? 130
35. कृष्ण महाराज की शिक्षा 136
36. अंतिम पृष्ठ 151

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