चौंतीसवां अध्याय
क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे?
क्या कृष्ण महाराज धर्म-सुधारक थे?
यही नहीं, हमको तो यह भी निश्चय नहीं होता कि धर्म का उपदेश या धर्म-प्रचार करना कभी श्रीकृष्ण महाराज ने अपना उद्देश्य बनाया हो। प्रथम तो उनका राजवंश में जन्म लेना ही यह बताता है कि वे धर्म के उपदेशक या धर्म-प्रचारक कदापि नहीं थे। यह ठीक है कि उस समय राजर्षि का पद बहुत प्रतिष्ठित समझा जाता था और ऐसे ऋषि आचार्य भी होते थे तथापि ब्रह्मर्षि का पद बहुत प्रतिष्ठित समझा जाता था और ऐसे ऋषि आचार्य भी होते थे तथापि ब्रह्मर्षि की पदवी सर्वश्रेष्ठ थी जैसा कि विश्वामित्र और वशिष्ठ के उपाख्यानों से विदित होता है। दूसरा कोई उल्लेख या पुराण कथा हमको यह नहीं बताते कि अर्जुन या युधिष्ठिर को उपदेश करने के सिवाय उन्होंने कभी सर्वसाधारण में धर्म-प्रचार की चेष्टा की हो। वास्तिविक बात तो यह है कि धर्म-प्रचार उनका लक्ष्य ही नहीं था। वे जन्म और स्वभाव से पूरे क्षत्रिय थे इसलिए यथावश्यक उन्होंने अपने क्षत्रिय भाइयों के समझ अपने धार्मिक विचार प्रकट किये। समय-समय पर युधिष्ठिर और अर्जुन के हतोत्साहित होने पर कृष्ण महाराज ने क्षात्रधर्म की व्याख्या की और इस अवस्था में धर्म के विषय में उन्होंने जो कुछ कहा वह सब लोकहित-साधन के लिए ही कहा। इसके अतिरिक्त अन्यत्र कभी उन्होंने न तो धर्मोपदेश दिया और न धर्म-प्रचार करने की चेष्ठा ही की। न तो उन्होंने धर्म विषय पर कोई ग्रन्थ लिखा और न कभी शास्त्रार्थ किया जैसा उपनिषदों में जनक महाराज के नाम से प्रसिद्ध है। कृष्ण महाराज ने अपने सखाओं को जो कुछ धर्म का उपदेश किया और समयानुसार अत्यावश्यक जानकर ही किया। इसलिए हमारा विचार है कि गीता के सारे उपदेशों को उनके सिर मढ़ना उचित नहीं है। भला लड़ाई के समय में ऐसी लम्बी, युक्तिपूर्ण, सूक्ष्म दर्शन की बातें छाँटने का कौन-सा अवसर था? मतलब तो केवल इतना था कि अर्जुन को लड़ाई के लिए उत्साहित किया जाये और यह मतलब उतने में ही पूरा हो जाता है जितना दूसरे अध्याय में लिखा है।
बस इससे अधिक जो है वह पीछे के पंडितों की मिलावट है। गीता के 18वें अध्याय के लेख को देखने से मालूम हो जाएगा कि अनेक विचारों को प्रत्येक अध्याय में दोहराया गया है। कृष्ण के उपदेश का वह भाग जिसके द्वारा अर्जुन को लड़ने के लिए उत्साहित किया गया था, सम्भवतः इन सब अध्यायों में उन्हीं के शब्दों में मौजूद है, यद्यपि हर एक अध्याय का वर्णन अलग-अलग है।
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