गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 164

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
ग्‍यारहवां अध्याय
विश्‍वरूपदर्शनयोग


कस्‍माच्‍च ते न नमेरन्‍महात्‍मन्
गरीयसे ब्रह्मणोऽप्‍यादिकर्त्रे।
अनन्‍त देवेश जगन्निवास
त्‍वमक्षरं सदसत्तत्‍परं यत्।।37।।

हे महात्‍मन्! ये आपको क्‍यों नमस्‍कार न करें? आप ब्रह्मा से भी बड़े आदिकर्ता हैं। हे अनंत, हे देवेश, हे जगन्निवास! आप अक्षर हैं, असत हैं और इससे जो परे है वह भी आप ही हैं।  

त्‍वमादिदेव: पुरुष: पुराण-
स्‍त्‍वमस्‍य विश्‍वस्‍य परं निधानम्।
वेत्तासि वेद्यं च परं च धाम
त्‍वया ततं विश्‍वमनन्‍तरूप।।38।।

आप आदि देव हैं। आप पुराण-पुरुष हैं। आप इस विश्‍व के परम आश्रय स्‍थान हैं। आप जानने वाले हैं और जानने योग्‍य हैं। आप परमधाम हैं। हे अनंतरूप! इस जगत में आप व्‍याप्‍त हो रहे हैं।  

वायुर्षमोऽग्निर्वरुण: शशाक:
प्रजापतिस्‍त्‍वं प्रपितामहश्‍च।
नमो नमस्‍तेऽस्‍तु सहस्‍त्रकृत्‍व:
पुनश्‍च भूयोऽपित नमो नमस्‍ते।।39।।

वायु, यम, अग्नि, वरुण,चंद्र, प्रजापति, प्रपितामह आप ही हैं। आपको हजारों बार नमस्‍कार पहुँचे और फिर-फिर आपको नमस्‍कार पहुँचे।  

नम: पुरस्‍तादथ पृष्‍ठतस्‍ते
नमोऽस्‍तु ते सर्वत एव सर्व।
अनन्‍तवीर्यामितविक्रमस्‍त्‍वं
सर्व समाप्‍नोषि ततोऽसि सर्व:।।40।।

हे सर्व! आपको आगे, पीछे, सब ओर से नमस्‍कार है। आपका वीर्य अनंत है, आपकी शक्ति अपार है, सब आप ही धारण करते हैं, इसलिए आप सर्व हैं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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