गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 165

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
ग्‍यारहवां अध्याय
विश्‍वरूपदर्शनयोग


सखेति मत्‍वा प्रसभं यदुक्‍तं
हे कृष्‍ण हे यादव हे सखेति।
अजानता महिमानं तवेदं
मया प्रमादात्‍प्रणयेन वापि।।41।।
यच्‍चावहासार्थमसत्‍कृतोऽसि
विहारशय्यासनभोजनेषु।
एकोऽथवाप्‍यच्‍युत तत्‍समक्षं
तत्‍क्षामये त्‍वामहमप्रमेयम्।।42।।

मित्र जानकर और आपकी यह महिमा न जानकर, ʻहे कृष्‍ण!̕ʻ हे यादव!̕ʻ हे सखा!̕ इस प्रकार संबोधन कर मुझसे भूल में या प्रेम में भी जो अविवेक हुआ हो और विनोदार्थ खेलते, सोते, बैठते या खाते अर्थात सोहबत में आपका जो कुछ अपमान हुआ हो उसे क्षमा करने के लिए मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ।

पितासि लोकस्‍य चराचरस्‍य
त्‍वमस्‍य पूज्‍यश्‍च गुरुर्गरीयान्।
न त्‍वत्‍समोऽस्‍त्‍यभ्‍यधिक: कुतोऽन्‍यो
लोकत्रयेऽप्‍यप्रतिमप्रभाव।।43।।

स्‍थावर-जंगम जगत के आप पिता हैं। आप उसके पूज्‍य और श्रेष्‍ठ गुरु हैं। आपके समान कोई नहीं है तो आपसे अधिक तो कहाँ से हो सकता है? तीनों लोक में आपके सामर्थ्‍य का जोड़ नहीं है।  

तस्‍मात्‍प्रणम्‍य प्रणिधाय कायं
प्रसादये त्‍वामहमीशमीड्यम्।
पितेव पुत्रस्‍य सखेव सख्‍यु:
प्रिय: प्रियायार्हसि देव सोढ्म।।44।।

इसलिए साष्‍टांग नमस्‍कार करके आपसे, पूज्‍य ईश्वर से प्रसन्‍न होने की प्रार्थना करता हूँ। हे देव! जिस तरह पिता पुत्र को, सखा को सहन करता है वैसे आप मेरे प्रिय होने के कारण मेरे कल्‍याण के लिए मुझे सहन करने योग्‍य हैं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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