योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 34

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय

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7. पुराणों की प्राचीनता


यों तो लगभग प्रत्येक पुराण में श्रीकृष्ण के जीवन के कुछ-न-कुछ वृत्त अवश्य मिलते हैं, परन्तु जिनमें यथाक्रम या सविस्तार वर्णन किया गया है, उनके नाम ये हैं- ब्रह्म वैवर्त, भागवत, विष्णुपुराण, ब्रह्मपुराण। इनके अतिरिक्त ‘हरिवंश’ नामक पुस्तक में भी श्रीकृष्ण के वृत्तान्त बहुत पाये जाते है और महाभारत में भी प्रायः कृष्ण का वर्णन आता है। साधारणतः तो पुरात्त्ववेत्ताओं का यह मत है कि इन पुराणों में विष्णुपुराण और महाभारत सबसे प्राचीन जान पड़ते हैं, परन्तु इनके विषय में भी यह निर्णय करना कठिन है कि इनका कौन-सा भाग पुराना और कौन-सा नया है।

प्रोफेसर विल्सन[1] का मत है कि विष्णुपुराण में इस बात के बहुतेरे प्रमाण मौजूद हैं कि उसमें दसवीं शताब्दी ईस्वी तक के वृत्तान्त पाये जाते हैं। तथापि भागवत तथा अन्य पुराणों की अपेक्षा विष्णुपुराण अधिक प्राचीन है। भागवत के विषय में तो यह विवाद चला आता है, कि कौन-सी भागवत अठारह पुराणों में गिनती करने योग्य है? श्रीमद्भागवत या देवी भागवत? वैष्णव अपनी भागवत को वास्तविक पुराण बतलाते हैं और शाक्त अपनी पुस्तक को। यूरोपीय विद्वानों का मत है कि श्रीमद्भागवत तेरहवीं शताब्दी ईस्वी में लिखी गई है। जो कुछ विद्वानों की दृष्टि में भागवत से विष्णुपुराण अधिक प्राचीन है, तथा उसमें अलंकार का मिश्रण भी कम होने से उसकी बातें अधिक विश्वसनीय मानी जाती हैं।

इसके अतिरिक्त औरों की अपेक्षा विष्णुपुराण इस योग्य है कि घटनाओं के अनुसंधान की नींव उसी पर रखी जाये। रचना-काल की दृष्टि से हरिवंश, ब्रह्मवैवर्त और ब्रह्मपुराण भी विष्णुपुराण से पश्चात के माने जाते हैं। प्रोफेसर विल्सन की सम्मति है कि ब्रह्मवैवर्त गोकुलिए गोसाइयों की रचना है और 15वीं शताब्दी ईस्वी से पीछे की लिखी हुई है। अब रहा महाभारत, सो उसके विषय में याद रखना चाहिए कि वर्तमान महाभारत असली महाभारत नहीं है। या यों कहो कि कोई यह नहीं बता सकता कि वर्तमान महाभारत में कितने श्लोक असली हैं और कितने प्रक्षिप्त अर्थात बाद में मिलाये गए हैं।

जैसे पुराणों के विषय में साधारणतः यह कहा जाता है कि वे वेदव्यास जी के बनाए हुए हैं वैसे ही महाभारत के विषय में भी यही कहा जाता है। परन्तु जैसा हम ऊपर कह आये हैं कि कम-से-कम वर्तमान पुराण व्यास के रचे हुए नहीं हैं वैसे ही हमारे पास इस बात के भी बहुत-से प्रमाण हैं कि आधुनिक महाभारत का कुल अंश व्यास जी का लिखा हुआ नहीं है। स्वयं महाभारत के आदिपर्व से प्रतीत होता है कि व्यास जी ने असल महाभारत रचकर वैशम्पायन को सुनाया, जिसने लोमहर्षण को उसकी शिक्षा दी और जिससे उसके पुत्र उग्रश्रवा ने उसे सीखा। आधुनिक महाभारत के पहले दो श्लोकों में ग्रन्थकर्ता[2] लिखता है कि वह उस महाभारत को लिखता है जो उग्रश्रवा ने कुलपति शौनक के यज्ञ[3] में ऋषियों के सम्मुख सुनाई थी।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जिन्होंने विष्णुपुराण का अंग्रेजी अनुवाद किया है।
  2. जो अपना नाम नहीं प्रकट करता।
  3. बारह वर्ष के यज्ञ

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योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
ग्रन्थकार लाला लाजपतराय 1
प्रस्तावना 17
भूमिका 22
2. श्रीकृष्णचन्द्र का वंश 50
3. श्रीकृष्ण का जन्म 53
4. बाल्यावस्था : गोकुल ग्राम 57
5. गोकुल से वृन्दावन गमन 61
6. रासलीला का रहस्य 63
7. कृष्ण और बलराम का मथुरा आगमन और कंस-वध 67
8. उग्रसेन का राज्यारोहण और कृष्ण की शिक्षा 69
9. मथुरा पर मगध देश के राजा का जरासंध का आक्रमण 71
10. कृष्ण का विवाह 72
11. श्रीकृष्ण के अन्य युद्ध 73
12. द्रौपदी का स्वयंवर और श्रीकृष्ण की पांडुपुत्रों से भेंट 74
13. कृष्ण की बहन सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह 75
14. खांडवप्रस्थ के वन में अर्जुन और श्रीकृष्ण 77
15. राजसूय यज्ञ 79
16. कृष्ण, अर्जुन और भीम का जरासंध की राजधानी में आगमन 83
17. राजसूय यज्ञ का आरम्भ : महाभारत की भूमिका 86
18. कृष्ण-पाण्डव मिलन 89
19. महाराज विराट के यहाँ पाण्डवों के सहायकों की सभा 90
20. दुर्योधन और अर्जुन का द्वारिका-गमन 93
21. संजय का दौत्य कर्म 94
22. कृष्णचन्द्र का दौत्य कर्म 98
23. कृष्ण का हस्तिनापुर आगमन 101
24. विदुर और कृष्ण का वार्तालाप 103
25. कृष्ण के दूतत्व का अन्त 109
26. कृष्ण-कर्ण संवाद 111
27. महाभारत का युद्ध 112
28. भीष्म की पराजय 115
29. महाभारत के युद्ध का दूसरा दृश्य : आचार्य द्रोण का सेनापतित्व 118
30. महाभारत के युद्ध का तीसरा दृश्य : कर्ण और अर्जुन का युद्ध 122
31. अन्तिम दृश्य व समाप्ति 123
32. युधिष्ठिर का राज्याभिषेक 126
33. महाराज श्रीकृष्ण के जीवन का अन्तिम भाग 128
34. क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे? 130
35. कृष्ण महाराज की शिक्षा 136
36. अंतिम पृष्ठ 151

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