योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 18

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय

Prev.png

प्रस्तावना


मैंने इस पुस्तक के लिखने के लिए

  1. बाबू बलराम मलिक की पुस्तक कृष्ण और कृष्णाइज्म
  2. बाबू धीरेन्द्रनाथ पाल की ‘लाइफ़ ऑफ श्रीकृष्ण’ को पढ़ा और
  3. मिस्टर ग्राउज[1] साहब की ‘मथुरा मेमायर[2] को भी कहीं-कहीं से देखा है। मेरी पुस्तक का प्रथम अध्याय[3] तो पुस्तक सं. 3 पर अधिकतर निर्भर है। पुस्तक सं. 2 से मैंने अधिक सहायता ली है, परन्तु न तो मैंने उसकी प्रणाली का अनुकरण ही किया और न उससे चुनी हुई घटनाओं पर भरोसा ही किया है। साधारणतः मैंने सब घटनाओं को विष्णु पुराण, महाभारत और श्रीमद्भागवत से पड़ताल करके लिखा है। यदि किसी जगह केवल किसी दूसरे लेखक के विश्वास पर कोई घटना का उल्लेख किया है तो फुटनोट में उन महाशय का नाम लिख दिया है। भगवद्गीता के श्लोकों के भाष्य के लिए मैंने साधारणतः मिसेज एनी बेसेन्ट के भाष्य से लाभ उठाया है, परन्तु हर एक श्लोक के भाष्य का मैंने असल पुस्तक से मिलान कर लिया है और जहाँ भाष्य में न्यूनाधिक परिवर्तन की आवश्यकता प्रतीत हुई वहाँ पर किया है।

इसके अतिरिक्त शायद इस बात की भी आवश्यकता है कि मैं कुछ शब्द अपनी भाषा व लेख के संबंध में कहूँ। मैंने कई बार यह शिकायत सुनी है कि आर्यसामाजिक उर्दू साधारणतः और मेरी उर्दू विशेषतः खिचड़ी होती है। एक मुसलमान मित्र ने तो यह कहा कि हमने उर्दू को संयुक्त बना दिया है, परन्तु असल बात यह है कि आर्यसमाज की स्थिति से पहले उर्दू भाषा में हिन्दू धर्म की पुस्तकें बहुत थोड़ी थीं क्योंकि संस्कृत व हिन्दी जानने वाले हिन्दुओं ने कभी अपनी धार्मिक पुस्तकों को उर्दू में लिखने का उद्योग नहीं किया। यदि किया भी तो केवल उर्दू (फारसी) अक्षरों का प्रयोग किया। आर्यसमाज ने इस आवश्यकता को अनुभव किया कि पंजाब व संयुक्त प्रांत[4] की शिक्षितमंडली के लिए अपनी धर्म पुस्तकों को उर्दू भाषा में तैयार करके उर्दू अक्षरों में प्रकाशित किया जाए। मुसलमानों ने उर्दू भाषा में फारसी व अरबी के शब्दों का प्रयोग किया था, क्योंकि साधारणतः उर्दू के लेखक फारसी व अरबी से भिज्ञ थे और उन लोगों को मुसलमानों के धार्मिक विचारों को प्रकट करने के लिए फारसी व अरबी के शब्दों के प्रयोग की आवश्यकता पड़ती थी, लेकिन जब अंग्रेजी सरकार ने पंजाब और संयुक्त प्रांत में उर्दू अक्षरों को सरकारी अदालतों में प्रचलित किया और शिक्षा का प्रचार भी इन्हीं अक्षरों में प्रचलित हुआ तो इन अक्षरों के जानने वाले हिन्दुओं की आवश्यकता को पूरा करने के लिए यह आवश्यक हुआ कि उन अक्षरों में ऐसी पुस्तकें तैयार की जाएँ, जिनमें हिन्दू धर्म की शिक्षा हो।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पूरा नाम एफ0 ग्राउस- मथुरा के जिलाधीश थे। हिन्दी - प्रेमी इस विदेशी विद्वान ने रामचरितमानस का हिन्दी अनुवाद किया है। -सम्पादक
  2. Memoir
  3. अर्थात कृष्ण महाराज की जन्मभूमि
  4. वर्तमान उत्तर प्रदेश

संबंधित लेख

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
ग्रन्थकार लाला लाजपतराय 1
प्रस्तावना 17
भूमिका 22
2. श्रीकृष्णचन्द्र का वंश 50
3. श्रीकृष्ण का जन्म 53
4. बाल्यावस्था : गोकुल ग्राम 57
5. गोकुल से वृन्दावन गमन 61
6. रासलीला का रहस्य 63
7. कृष्ण और बलराम का मथुरा आगमन और कंस-वध 67
8. उग्रसेन का राज्यारोहण और कृष्ण की शिक्षा 69
9. मथुरा पर मगध देश के राजा का जरासंध का आक्रमण 71
10. कृष्ण का विवाह 72
11. श्रीकृष्ण के अन्य युद्ध 73
12. द्रौपदी का स्वयंवर और श्रीकृष्ण की पांडुपुत्रों से भेंट 74
13. कृष्ण की बहन सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह 75
14. खांडवप्रस्थ के वन में अर्जुन और श्रीकृष्ण 77
15. राजसूय यज्ञ 79
16. कृष्ण, अर्जुन और भीम का जरासंध की राजधानी में आगमन 83
17. राजसूय यज्ञ का आरम्भ : महाभारत की भूमिका 86
18. कृष्ण-पाण्डव मिलन 89
19. महाराज विराट के यहाँ पाण्डवों के सहायकों की सभा 90
20. दुर्योधन और अर्जुन का द्वारिका-गमन 93
21. संजय का दौत्य कर्म 94
22. कृष्णचन्द्र का दौत्य कर्म 98
23. कृष्ण का हस्तिनापुर आगमन 101
24. विदुर और कृष्ण का वार्तालाप 103
25. कृष्ण के दूतत्व का अन्त 109
26. कृष्ण-कर्ण संवाद 111
27. महाभारत का युद्ध 112
28. भीष्म की पराजय 115
29. महाभारत के युद्ध का दूसरा दृश्य : आचार्य द्रोण का सेनापतित्व 118
30. महाभारत के युद्ध का तीसरा दृश्य : कर्ण और अर्जुन का युद्ध 122
31. अन्तिम दृश्य व समाप्ति 123
32. युधिष्ठिर का राज्याभिषेक 126
33. महाराज श्रीकृष्ण के जीवन का अन्तिम भाग 128
34. क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे? 130
35. कृष्ण महाराज की शिक्षा 136
36. अंतिम पृष्ठ 151

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः