विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
पहला अध्याय
बाललीला
चतुर्थ प्रकरण
कुमारावस्थालीला
ब्रह्मकृत स्तुति
(प्रश्न- यदि आप माया से स्वतंत्र हैं तो आपने क्यों कुत्सित मत्स्यादि योनियों में जन्म लिया? क्यों वामनादि अवतार में भीख माँगी? क्यों इसी अवतार में कभी-कभी भय से काँप, कहीं युद्धक्षेत्र से भागे? समाधान-) हे भूमन! हे भगवन! हे परमात्मन! हे योगेश्वर! जब आप अपनी आश्चर्यरूप योगमाया का विस्तार करते हैं (क्रीड़ा करते हैं) तब इस त्रिलोकी में आपकी लीलाओं को कौन जान सकता है कि वे किस देश में किस कारण, किस प्रकार की और किस समय कितनी होती हैं।।21।। (प्रश्न- अवतारों की महिमा अचिन्त्य भले ही हो किन्तु यह प्रपञ्च असत् है, इसकी सत्ता कैसे प्रतीत होती है? समाधान-) यह संपूर्ण जगत् स्वप्न के समान मिथ्या, जड़, दुखरूप माया से उत्पन्न हुआ और विनाशी है। तथापि आपके अनन्त नित्य सुख स्वरूप में माया से उत्पन्न हुआ भी सत्य के समान भासता है। (भाव यह है कि आप अधिष्ठान हैं और आपकी सत्ता से यह जगत्- सत्-सा भासता है)।।22।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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