विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
तीसरा अध्याय
किशोरलीला
चतुर्थ प्रकरण
मथुरा छोड़ना
मुचुकुन्दकृत स्तुति
प्रमत्तमुच्चैरिति कृत्यचिन्तया प्रवृद्धलोभं विषयेषु लालसम्। यह कार्य ऐसा करना चाहिए और वह कार्य ऐसा करना चाहिए इस प्रकार कार्यसंबंधिनी चिन्ता में संलग्न, अतिलोभयुक्त और विषयों की उत्कट इच्छावाले पुरुष पर सावधानी से रहने वाले कालरूप आप इस तरह आक्रमण करते हैं, जिस तरह कि भूख से व्याकुल अपने जबड़े को चाटने वाला साँप अपने भट्ठे में अन्न भरने वाले चूहे पर आक्रमण करता है।।50।। जीवित अवस्था में राजा नाम से प्रसिद्ध, सुवर्ण के आभूषणों से भूषित, रथों में या मदोन्मत्त हाथियों के ऊपर बैठकर भ्रमण करने वाला यह शरीर समय पाकर दुरत्यय कालरूप आपके आक्रमण करने पर विष्ठा, कीट या भस्म के नाम से पुकारा जाता है। (भाव यह है कि मरने के उपरान्त इस शरीर को किसी जानवर ने खा लिया तो विष्ठा हो जायगा, यदि कहीं पड़ा रहा तो उसमें कीड़े पड़ जायँगे, यदि जला दिया तो भस्म हो जायेगा)।।51।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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