विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
तीसरा अध्याय
किशोरलीला
प्रथम प्रकरण
वृन्दावन की शेष लीलाएँ
नारदकृत स्तुति
फिर पराक्रमादि ही जिनका मूल्य है अर्थात पराक्रम से पायी हुई राजकन्याओं के साथ विवाह देखूंगा और हे जगत्पते! तदनन्तर द्वारका में राजा नृग का पाप से (गिरगिटयोनि से) छुटकारा पाना देखूँगा।।18।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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