विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
दूसरा अध्याय
माधुर्यलीला
प्रथम प्रकरण
माधुर्य का प्रादुर्भाव
वेणुगीत
(किसी गोपी की दृष्टि गौ पर गयी और वह कहने लगी-) हे सखि! गौएँ भगवान की मुख से बजायी गयी वंशी की अमृतध्वनि को अपने कानों को ऊपर उठाकर दोना सा बनाकर पी लेती हैं; (भाव यह है कि कहीं अमृत गिर न पड़े, इस कारण कानों को दोना सा बना लेती हैं) और श्रीगोविन्द को नेत्रों के द्वारा मन में ले जाकर आनन्द को प्राप्त हो आनन्द के आँसू बहाती हुई अपना कार्य (चरना आदि) भूल जाती हैं। वैसे ही छोटे बछड़े भी दूध पीने के लिए प्रवृत्त होते ही वंशी की ध्वनि को सुनकर दोने की भाँति खड़े किये गये कानों से उसे पीते हुए अपनी सुधि भूल जाते हैं और थनों से गिरता हुआ दूध उनके मुँह में ही रह जाता है (भाव यह है कि वे भगवान् को देखकर ऐसे बेसुध हो जाते हैं कि दूध की घूँट भी नहीं पी सकते)।।13।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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